तो दागी कंपनी को अरबों दिए होंगे अधीनस्थ सेवा आयोग ने

विस ने 32 युवाओं के लिए दिए 59 लाख
स्पीकर और सचिव ने किया आनन-फानन में भुगतान
जांच समिति ने की सचिव को पदानवत की सिफारिश
स्पीकर ने एक कदम आगे जाकर कर दिया निलंबित
देहरादून। लखनऊ की दागी कंपनी आरएमएस टेक्नोसॉल्यूशन प्राईवेट लिमिटेड की उत्तराखंड में जड़े खासी गहरी हैं। आलम यह है कि विस ने महज 32 युवाओं की परीक्षाओं के लिए इस कंपनी को 59 लाख रुपये का आनन-फानन में भुगतान कर दिया। इसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि हजारों युवाओं की परीक्षाओं के लिए इस कंपनी को अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने कितने अरब का भुगतान किया होगा। जाहिर है कि इस दागी कंपनी को निश्चित तौर पर कोई बड़ा सियासी संरक्षण हैं।
स्पीकर की बनाई उच्च स्तरीय समिति ने जांच के दौरान एक बड़ा तथ्य ये पाया कि विस ने महज 32 पदों पर नियुक्ति के लिए भर्ती परीक्षा के आयोजन के लिए कंपनी को 59 लाख रुपये का भुगतान किया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह तथ्य भी स्पीकर के संज्ञान में डाला है। अहम बात यह है कि समिति ने अपनी सिफारिश में सचिव मुकेश सिंघल की नियुक्ति औऱ पदोन्नित को अवैध पाते हुए उन्हें पदानवत करने की सिफारिश की है। लेकिन स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने इससे आगे जाकर सिंघल को निलंबित कर दिया है।
विस में 59 लाख रुपये के भुगतान के खुलासे के तार एक बार अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने जुड़ते दिखाई दे रहे हैं। सवाल यह है कि जब 32 लोगों की भर्ती परीक्षा के लिए कंपनी ने 59 लाख रुपये लिए हैं तो आयोग में तो हजारों पदों पर भर्ती के लिए परीक्षाएं इसी दागी कंपनी से करवाई हैं। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि आयोग ने पांच सालों में कितने अरब रुपये का भुगतान इस कंपनी को किया होगा। ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि उत्तराखंड में इस दागी कंपनी का सियासी आका कौन है। यह तो तय है कि बगैर किसी सियासी सरंक्षण के इस कंपनी के कर्ताधर्ता इतना खुला खेल तो नहीं खेल सकते हैं। एसटीएफ पेपर लीक मामले की जांच के अंतिम चरण में हैं। लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं मिल पा रहा है। शायद यही वजह है कि मामले की सीबीआई जांच की मांग अभी भी की जा रही है।