एक्सक्लुसिव

उत्तराखंडः 10 साल से खाली है लोकायुक्त का पद

हर साल दो करोड़ से ज्यादा हो रहे खर्च, लगातार मिल रही शिकायतें

2017 में भाजपा ने किया था 100 दिन में नियुक्ति का वायदा

भ्रष्टाचार की शिकायतों पर नहीं हो रहा कोई एक्शन

देहरादून। उत्तराखंड में भले ही 10 सालों में लोकायुक्त का पद रिक्त है। लेकिन लोकायुक्त कार्यालय को लोकसेवकों के विरूद्ध शिकायतें लगातार मिल रही हैं। इससें इस बात को बल मिलता है कि शिकायतों पर कार्यवाही की आशंका के चलते लोकायुक्त की नियुक्ति में रूचि नहीं जा रही है। जबकि इसके लिये सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त आदेश कर दिये हैं। अहम बात यह भी है कि लोकायुक्त दफ्तर पर हर साल दो करोड़ से ज्यादा का खर्च हो रहा है।

काशीपुर निवासी वरिष्ठ अधिवक्ता और सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने लोकायुक्त कार्यालय में आईं शिकायतों व उनके निस्तारण के बारे में सूचना मांगी थी। जवाब में नदीम को दी गई जानकारी के अनुसार प्रथम लोकायुक्त द्वारा कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से सूचना उपलब्ध कराने की तिथि तक कुल 8515 भ्रष्टाचार आदि की शिकायते/परिवाद लोकसेवकों के विरूद्ध मिलीं। इसमें से 950 शिकायते लोकायुक्त का पद रिक्त रहने के दौरान पिछले आठ वर्षों में हुई हैं।

    लोकायुक्त का पद रिक्त होने की तिथि 01-11-2013 सेें सूचना उपलब्ध कराने की तिथि 11-10-2021  तक प्राप्त शिकायतों में 01-11-2013 से 31-12-2014 तक 422, वर्ष 2015 में 181, वर्ष 2016 में 97, वर्ष 2017 में 86 वर्ष 2018 में 54, वर्ष 2019 में 67 कोविड महामारी के वर्ष में भी 24 शिकायतें (परिवाद) तथा 2021 में (11 अक्टूबर तक) 19 शिकायतें मिली है। इस प्रकार कुल 1595 परिवाद (भ्रष्टाचार की शिकायते) लोकायुक्त के इंतजार में लंबित हैं।

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