राजनीति

‘शगूफे’ से चर्चा में रहना चाहती है आप !

एक मंत्री और चार विधायकों के संपर्क में होने का दावा

शामिल होने से आठ महीने पहले दावे पर उठ रहे सवाल

आप के एक प्रदेश पदाधिकारी से एक मंत्री की है नजदीकी

अब विधायकों को लेकर कयासों का दौर हो गया है शुरू

देहरादून। आम आदमी पार्टी (आप) को चर्चाओं में रहना बहुत अच्छी तरह आता है। चंद महीनों में ही भाजपा और कांग्रेस को अपनी गतिविधियों से कांग्रेस और सत्तारूढ़ भाजपा को खुद पर कमेंट करने के लिए मजबूर कर दिया। अब आप ने एक नया शगूफा छोड़ा है कि एक मंत्री और भाजपा के चार विधायक कुछ महीनों बाद आप में शामिल हो जाएंगे। आप के इस दावे का सियासी गलियारों में चर्चा है। कुछ लोगो इसे महज एक शगूफा मान रहे हैं ताकि चर्चा में रहें तो कुछ लोग कयास लगा रहे हैं कि वो कौन हो सकते हैं।

बीते कुछ माह से आप ने उत्तराखंड के सियासी गलियारों में हलचल मचा रखी है। चाहें मनीष सिसोदिया की सरकार को बात करने की चुनौती हो या फिर किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन। हालात ये बने कि कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही आप के काउंटर में उतरना पड़ा। आप यही चाहती थी कि उसका संज्ञान लिया जाए और उसकी बात आम जनता तक पहुंचे। अब तक तो आप अपने इस मकसद में सफल होती दिख रही है।

आप के प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया ने एक नया शगूफा छोड़ा है। उनका कहना है कि भाजपा के एक मंत्री और चार विधायक आप में शामिल होंगे। देरी के तर्क पर उनका कहना था कि अगर अभी शामिल होते हैं तो उप चुनाव होगा। आप नहीं चाहती है कि जनता पर चुनाव खर्च का बोझ पड़े। ऐसे में उचित समय पर ये लोग आप में शामिल होंगे। यहां ये लिखना समीचीन होगा कि एक मंत्री के आप में अभी शामिल होकर प्रदेश स्तरीय ओहदा पाने एक नेता के साथ बेहद नजदीकी रिश्ते हैं।

आप के दावे पर प्रतिक्रिया

देवेद्र भसीन

इस मामले में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व प्रदेश प्रवक्ता डॉ. देवेंद्र भसीन ने कहा कि आप को चर्चाओं में रहने की आदत है। इसी वजह से इस तरह की बयानबाजी की जा रही है।

मनवीर चौहान

भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि ये वहीं पार्टी है जिसने लॉकडाउन के दौरान उत्तराखंड के हजारों लोगों को दिल्ली की सीमा पर पटक दिया था। प्रदेश भाजपा सरकार ने उन लोगों को मदद की और उत्तराखंड तक लेकर आई।

दिनेश मोहनिया

आप के प्रदेश प्रभारी दिनेश मोहनिया कहते हैं कि हमने वहीं दावा किया जो लोगों ने सहमति दी है। आने वाले समय में भाजपा छोड़कर आप में शामिल होने वालों की संख्या और भी बढ़ सकती है।

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