‘हार के गैप’ का तोड़ तलाशने निकले हरदा
सधे अंदाज में पार्टी में अपने विरोधियों को दिया सियासी संदेश
बोले, मोदी के प्रचंड वेग के बाद भी बचाया अपना वोट बैंक
पार्टी में किसी उनकी इस मेहनत को नहीं किया एक्नालेज
फिर से दोहराई सीएम का चेहरा घोषित करने की मांग
देहरादून। कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत 2022 के लिए अकेले ही बैटिंग कर रहे हैं। कांग्रेस में अंदरखाने भले ही उनका विरोध हो रहा हो पर हरदा अब 2017 में कांग्रेस की हार का गैप तलाशने निकल पड़े हैं। सोशल मीडिया में वह अपने अंदाज में कांग्रेस में अपने विरोधियों को संदेश दे रहे हैं तो मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की अपनी मांग पर अडिग हैं।
हरदा ने सीमांत जिलों में रवानगी से पहले सोशल मीडिया में एक पोस्ट लिखी है। इसमें उन्होंने लिखा है कि मैं आज ग्वैल देवता की धरती से जो हमारा उत्तराखंड का पुराना बॉर्डर डिस्ट्रिक्ट कहलाते हैं, उस क्षेत्र में प्रवेश कर रहा हूं। मैंने तय किया है कि मैं फरवरी के आखिर तक जो हमारा चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी का सीमांत क्षेत्र है, वहां भी भ्रमण करूंगा। मैं इन क्षेत्रों में 2017 में कांग्रेस प्रत्याशियों को मिले मतों का जब संख्यावार आंकलन कर रहा हूं। तो एक-दो स्थानों को छोड़कर कांग्रेस के उम्मीदवार 2012 में जितने मत उनको प्राप्त हुए थे, उन मतों को बचाए रखने में सफल हुए हैं। चंपावत में जितने मत पाकर 2012 में हमारे उम्मीदवार 7000 वोटों से जीते थे, उतने ही मत पाकर हमारे उम्मीदवार बड़े अंतर से हार गये।
विपक्ष को जो मत जाते थे उन मतों का एकमुश्त ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में होने के कारण हम इन सीमांत क्षेत्रों में पराजित हुए। और मेरे लिये यह बड़ा आघात था, मैंने अपनी डेवलपमेंटल स्ट्रेटेजी में इन पूर्व सीमांत क्षेत्रों और अब पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर और उधर चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी के जिले हैं, यहां के लिये योजनाबद्ध तरीके से असंभव कार्यों को संभव करवाया। मैंने यहां के मानवीय व डेवलपमेंटल पहलू को, दोनों के लिये योजनाबद्ध तरीके से काम किया, यह अलग बात है उसका जो फायदा मैं उम्मीद कर रहा था, चुनाव में वो नहीं मिल पाया, लेकिन यह तो सत्यता है कि इन क्षेत्रों में हमारा मत प्रतिशत 2012 का जब हम सरकार बनाने में सफल हुये थे, वो यथावत बना रहा। यह अलग बात है कि मेरी पार्टी में किसी ने इस तथ्य को एक्नॉलेज नहीं किया कि श्री मोदी के प्रचंड वेग के खिलाफ भी हम 2017 में अपना 2012 का आधार वोट बचाये रखने में सफल हुये। मेरे इस भ्रमण का उद्देश्य वो गैप, जिस गैप ने भाजपा को विजयी बनाया है, उसका तोड़ ढूंढना है। देखता हूं कुछ तोड़ ढूंढ पाया तो इन क्षेत्रों व कांग्रेस के लिये हो सकता है शायद यह मेरी आखरी सेवा हो। मेरे इन क्षेत्रों के विशेष उल्लेख करने से यह आश्रय न लगाया जाय कि हमारी सरकार ने मध्य उत्तराखंड के जिलों भाभर, तराई, देहरादून व हरिद्वार के लिये पृथक-पृथक व समन्वित योजना बनाई, इन क्षेत्रों के लिये बनाई गई योजनाओं का मैं पृथक से उल्लेख करूँगा।
एक अन्य पोस्ट में हरदा ने लिखा है कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना ही चाहिए। ताकि सूबे की अवाम उस शख्स की कार्यशैली को समझ कर पार्टी को वोट दे सके। हरीश इससे पहले भी इस मांग को पुरजोर तरीके से उठा चुके हैं। यह अलग बात है कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी ने व अन्य नेताओं ने उस पर कोई तवव्जो नहीं और सामूहिक तौर पर काम करने की नसीहत दे डाली।
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