उत्तराखंड

आपदाओं से हो रहे जान-माल के नुकसान का जिम्मेदारी कौन ? सरकार या जनता!

आपदाओं से हो रहे जान-माल के नुकसान का जिम्मेदारी कौन ? सरकार या जनता!

जन संघर्ष मोर्चा ने उठाए गंभीर सवाल

नदी-नालों के किनारे बसावट पर जताई चिंता

विकासनगर : 06 अगस्त, उत्तरकाशी में हुई भयावह आपदा की पृष्ठभूमि में जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने एक पत्रकार वार्ता के माध्यम से सरकार की आपदा प्रबंधन नीति पर गंभीर सवाल उठाए हैं।

नेगी ने कहा कि बार-बार घटित हो रही प्राकृतिक आपदाएं यह संकेत दे रही हैं कि सरकार ने संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए हैं। उन्होंने कहा कि नदी, नालों और खालों के किनारे स्थापित सरकारी, व्यावसायिक और रिहायशी भवनों को बचाने के लिए सरकार को भारी-भरकम तटबंधों का निर्माण अविलंब करना चाहिए, जिससे भविष्य में जान-माल के नुकसान की संभावनाएं न्यूनतम हो सकें।

नेगी ने सवाल उठाया –
“नदी-नालों के किनारे बस चुके लोगों को अनुमति किसने दी? क्या जिम्मेदारी सिर्फ जनता की है?”

उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह न केवल भविष्य में होने वाले निर्माण पर सख्ती से रोक लगाए, बल्कि जो सरकारी संस्थान, जैसे स्कूल, जेल, थाना, मानसिक अस्पताल, आर्मी कॉलोनी, आदि पहले से जलस्रोतों के निकट स्थित हैं, उनकी सुरक्षा के लिए भी सुरक्षात्मक तटबंधों का निर्माण करे।

मोर्चा ने सरकारी विभागों के कार्यालयों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार को इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु पुख्ता इंतज़ामात करने चाहिए।

पत्रकार वार्ता में रघुनाथ सिंह नेगी ने उत्तरकाशी की आपदा पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को ऐसी त्रासदियों से सबक लेकर ठोस नीतियां बनानी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

इस मौके पर हाजी असद और प्रवीण शर्मा पिन्नी भी उपस्थित रहे।

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