उत्तराखंड

एसडीसी फाउंडेशन ने चारधाम यात्रा से जुड़े विभिन्न हितधारकों के साथ की ऑनलाइन चर्चा, सभी वक्ताओं ने एक सुर में जटिलताओं को दूर करते हुए चार धाम यात्रा को सुगम बनाने पर दिया ज़ोर

एसडीसी फाउंडेशन ने चारधाम यात्रा से जुड़े विभिन्न हितधारकों के साथ की ऑनलाइन चर्चा, सभी वक्ताओं ने एक सुर में जटिलताओं को दूर करते हुए चार धाम यात्रा को सुगम बनाने पर दिया ज़ोर

देहरादून।

चारधाम यात्रा से जुड़े विभिन्न हितधारकों का मानना है की हाल के सालों में रजिस्ट्रेशन, ओटीपी, ट्रिप कार्ड और इन व्यवस्थाओं से उपजती हुई तमाम तरह की बाध्यताओं के कारण चारधाम यात्रा के प्रति लोगों का रुझान कम हो रहा है। इससे सभी को नुकसान हो रहा है। सरकार को चारधाम यात्रा की व्यवस्था को जटिल बनाने की बजाय सुगम बनाना चाहिए। यह बात भी साफ तौर पर कही गई कि एक ही यात्री चारों धाम जाता है तो उसे चार बार गिना जाता है। इस तरह से सरकार उत्तराखंड में चार धाम तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ाकर बताने का खेल कर रही है।

एसडीसी फाउंडेशन ने सभी धामों से जड़े प्रमुख हितधारकों के साथ ऑनलाइन संवाद आयोजित किया जिसमें ये बातें सामने आई। मीटिंग का संचालन फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने किया। इसमें गंगोत्री के रावल अशोक सेमवाल, यमुनोत्री के रावल पवन प्रकाश उनियाल, चार धाम होटल एसोसिएशन के संरक्षक जमुना प्रसाद रैवाणी , उत्तराखंड टूट ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिषेक अहलुवालिया आदि ने अपनी बात रखी।

यमुनोत्री धाम के रावल पवन प्रकाश उनियाल ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण यमुनोत्री में तीर्थयात्रियों की संख्या काफी कम हो गई है। सरकार एक ही यात्री को चार बार गिनकर आंकड़े बढ़ा रही है, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है। उनका कहना है कि फिलहाल यमुनोत्री में जितने तीर्थयात्री आ रहे हैं, उससे ज्यादा तो कैंचीधाम जा रहे हैं।

गंगोत्री धाम के रावल अशोक सेमवाल ने कहा कि चारधाम यात्रा में व्यवस्था को लेकर वे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से भी मिले थे, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। गंगोत्री और यमुनोत्री में सड़क अब भी एक बड़ा मसला है। सड़क संकरी होने से लोग इन दोनों धामों को रुख नहीं कर रहे हैं। जो सडक़ अभी है, उसे कुछ चौड़ी करने की जरूरत है, लेकिन सरकार दूसरी तरफ से सड़क बनाना चाहती है, इसमें ज्यादा समय और पैसा लगेगा, साथ ही पर्यावरण का ज्यादा नुकसान होगा।

चार धाम होटल एसोसिएशन के संरक्षक जमुना प्रसाद रैवाणी ने कहा कि मौजूदा सरकार चाहती ही नहीं है कि तीर्थयात्री चार धाम आये। बदरीनाथ में केवल 45 प्रतिशत तीर्थयात्री पहुंच पा रहे हैं। मई और जून के महीने में धाम में कथा-भागवत करने पर भी रोक है, इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए। हर साल चार धाम यात्रा से जुड़े समस्त हितधारकों का सम्मेलन होना चाहिए जिसमें यात्रा संबंधी कमियों को दूर करने के बारे में चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि चारधाम यात्रा कम से कम सरकारी हस्तक्षेप के साथ करवाई जानी चाहिए, ताकि उसका पौराणिक स्वरूप बना रहे।

उत्तराखंड टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिषेक अहलुवालिया ने कहा कि हाल के सालों में चारधाम यात्रा लगातार जटिल होती गई है। रजिस्ट्रेशन, ओटीपी, ट्रिप कार्ड जैसी बाध्यताओं के कारण जटिलताएं बढ़ी हैं। इस व्यवस्था को सुगम बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के लिए 10 जून तक के सभी स्लॉट बुक हैं, ऐसे में तीर्थयात्रियों को यहां पहुंचकर ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ रहा है। इसके लिए गर्मी में लंबी लाइन लग रही हैं। तीर्थयात्री ही नहीं टूट ऑपरेटर्स भी इस व्यवस्था से घबरा जाते हैं। कई टूर ऑपरेटर्स ने चारधाम यात्रा छोड़कर दूसरा रास्ता पकड़ लिया है।

अनूप नौटियाल ने कहा कि एसडीसी फाउंडेशन की ओर से भविष्य में चार धाम यात्रा से जुड़े सभी हितधारकों को एक प्लेटफार्म पर लाने के प्रयास जारी रहेंगे । इस संवाद में जो भी बातें सामने आएंगी, उनका डॉक्यूमेंटेशन करके कोशिश की जाएगी कि केंद्र और राज्य सरकार के संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाया जाए, ताकि आने वाले सालों में चारधाम यात्रा की जटिलताओं को दूर करने का मौका मिल सके।

ऑनलाइन संवाद में उत्तरकाशी से अजय पुरी, ऋषिकेश से नवीन मोहन, केदारनाथ से आशुतोष पांडेय, हर्ष वर्धन सिंह, परमजीत सिंह कक्कड़, जगमोहन मेहंदीरत्ता, देवेंदर सिंह मोंटी, त्रिलोचन भट्ट, राकेश कपूर, प्रवीण उप्रेती, विनोद और कई अन्य लोग जुड़े।

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