गढ़वाली फिल्म “कारा एक प्रथा” का पोस्टर और ट्रेलर संस्कृति विभाग में हुआ रिलीज
गढ़वाली फिल्म “कारा एक प्रथा” का पोस्टर और ट्रेलर संस्कृति विभाग में हुआ रिलीज
देहरादून: आज मां शक्ति पिक्चर्स के बैनर तले निर्मित गढ़वाली फिल्म कारा एक प्रथा का पोस्टर और ट्रेलर रिलीज का कार्यक्रम संस्कृति विभाग के प्रेक्षागृह में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम का उद्घाटन पदमश्री माधुरी बड़थ्वाल के कर कमलों द्वारा हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता उपाध्यक्ष उत्तराखण्ड संस्कृति साहित्य एवं कला परिषद मधु भट्ट द्वारा की गई।
इस अवसर पर पारंपरिक लोक वाद्य यंत्रों ढोल दमाँ रणसिंगा के बीच अतिथियों का स्वागत तिलक लगा कर किया गया। मांगल गीतों की मधुर धुन पर दीप प्रज्जवलित किया गया। फिल्म की निर्मात्री परिणीता बडोनी और लेखक-निर्देशक सुनील बडोनी द्वारा कार्यक्रम की अध्यक्ष मधु भट्ट, विशिष्ट अतिथि पदमश्री माधुरी बड़थ्वाल का स्वागत पुष्पगुच्छ व शॉल भेंटकर किया गया।
फिल्म की बात की जाए तो कारा एक प्रथा जैसा कि नाम से ही जाहिर है, उत्तराखण्ड के कुछ इलाकों में प्रचलित सामाजिक प्रथा पर आधारित है। वर्ष 2005 में घटित एक घटना ने उस समय समाचार पत्रों में खूब सुर्खियां बटोरी थीं। इसी को आधार बनाकर फिल्म के लेखक-निर्देशक ने कहानी का ताना-बाना बुनकर ओरिजनल कंटेंट पर फिल्म बनाने का साहस जुटाया है। फिल्म का ट्रेलर उत्तराखण्डी फिल्मों के भविष्य को लेकर एक उम्मीद जगाता है। फिल्म के डीओपी और एडिटर सारांश बडोनी हैं। संगीत अनुभवी संगीत कार संतोष खेतवाल और युवा आशीष पंत द्वारा दिया गया है।
फिल्म के मुख्य कलाकार शिवानी भंडारी, कुसुम बिष्ट, रमेश रावत, राजेश मालगुड़ी, दिनेश बौड़ाई, अजय बिष्ट, संयोगिता ध्यानी, रोशन धस्माना, वीरेंद्र असवाल, रमेश नौडियाल, इंदु रावत, बिनीता नेगी, साक्षी काला और दिव्या आदि हैं।
कार्यक्रम के दौरान उत्तराखण्डी फिल्मों में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए गढ़वाली की पहली फिल्म जग्वाल की नायिका रहीं कुसुम बिष्ट और घरजवैं फिल्म के नायक बलराज नेगी का सम्मान किया गया।
विशिष्ट अतिथि पदमश्री माधुरी बड़थ्वाल ने अपने संबोधन में फिल्म के विषय की तारीफ करते हुए कहा कि फिल्म सत्य घटना से प्रेरित और घरेलु हिंसा जैसे संवेदनशील विषय पर आधारित है जो कि आज के समाज की ज्वलंत समस्या है। ट्रेलर में फिल्म की झलक देखने से फिल्म को देखने के प्रति उत्सुकता बढ़ गई है।
कार्यक्रम का संचालन गढ़वाली फिल्मों के अभिनेता और कवि मदन ढुकलाण द्वारा किया गया।