25 साल पुराने आदेश पर जमीन को राज्य सरकार में निहित करने की तैयारी
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। ऊधमसिंह नगर जिले के 20 गावों के हजारों बाशिंदों के सर पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट के 25 साल पुराने एक आदेश पर एक्शन लेने की वजह से ऐसा हो रहा है। जिला प्रशासन ने इन जमीनों की खरीद-फरोख्त या दाखिल खारिज पर यह कहते हुए रोक लगा दी है कि इसे राज्य सरकार में निहित करने की तैयारी है। ये सभी गांव समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य की विधानसभा क्षेत्र बाजपुर में आते हैं।
दरअसल, ब्रिटिश शासन काल में 1920 में तराई क्षेत्र को आबाद करने के इरादे से 99 साल की लीज पर कुछ लोगों को लगभग छह हजार एकड़ जमीन दी गई थी। तभी से ये लोग और उनके परिजन काबिज हैं। तमाम जमीनों को सालों पहले बेचा जा चुका है। लोगों ने बकायदा स्टांप शुल्क देकर इसकी रजिस्ट्री कराई है। राजस्व अभिलेखों में भी इनके नाम दर्ज है। तमाम जमीनों को बैंक आदि में बंधक बनाकर लोन भी लिया गया है। इतना ही नहीं राज्य सरकार ने तमाम जमीन का अधिग्रहण करके औद्योगिक आस्थान बना दिए हैं और वहां उद्योग चल रहे हैं।
पिछले दिनों जिला प्रशासन ने एक आदेश जारी किया है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 1995 में दिए गए एक फैसले और तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश का हवाला दिया गया है। जिला प्रशासन का कहना है कि उक्त आदेशों के क्रम में 20 गावों की जमीन को राज्य सरकार में निहित करने की तैयारी है। ऐसे में जमीन को खुर्द-बुर्द होने से रोकने के लिए इनकी खरीद-फरोख्त पर पाबंदी लगाई जाती है। जिला प्रशासन के इस आदेश के बाद 20 गांवों में सालों से रहने वालों में हड़कंप मचा है। इन सभी को बेघर होने का डर सता रहा है। आशंकित बाशिंदे सियासी नेताओं के चक्कर लगा रहे हैं। ये गांव समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य के विस क्षेत्र बाजपुर में आते हैं। काबीना मंत्री आर्य के साथ ही दूसरे काबीना मंत्री अरविंद पांडेय ने लोगों को आश्वासन दिया है कि मुख्यमंत्री से वार्ता करके इस समस्या का समाधान निकाला जाएगा।
सवाल यह है कि अगर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर जिला प्रशासन इन जमीनों को राज्य सरकार में निहित करने की तैयारी में है तो इन लोगों को बेघर होने से कैसे बचाया जा सकेगा।