उत्तराखंड

राज्य निर्वाचन आयोग से तीन मांगें, निकाय चुनावों में लापरवाही पर जारी हो रिपोर्ट

राज्य निर्वाचन आयोग से तीन मांगें

निकाय चुनावों में लापरवाही पर जारी हो रिपोर्ट

अगले तीस दिन में मिले सभी निकायों के वोटर का सही आंकड़ा

हर निकाय में आयोजित हों चुनावी स्टेकहोल्डर सभाएं

देहरादून।

सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने नगर निकाय चुनावों में हुई लापरवाही और अव्यवस्था की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट जारी करने और कमियों को चिन्हित कर भविष्य में इन्हें दूर करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह की खबरें सामने आई हैं, उससे साफ दिखता है कि उत्तराखंड राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव संपन्न करवाने में बेहद गैर जिम्मेदाराना और लापरवाहीपूर्ण रवैया अपनाया गया। कल के अव्यवस्थित निकाय चुनाव को देखते हुए उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग के सामने तीन मांगें रखी हैं।

अनूप नौटियाल के अनुसार बहुत जगह जहां मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से गायब मिले, वहीं कई जगहों पर मतदान बहुत धीमी गति से हुआ। शाम 5 बजे मतदान का समय खत्म होने के बाद भी कई बूथों पर लंबी लाइनें थी। वोटर्स को अपना वोट डालने में जरूरत से ज्यादा समय लगा। यह तमाम लापरवाही किन कारणों से हुई, राज्य निर्वाचन आयोग को इसकी विस्तृत जांच करनी जानी चाहिए और हर हाल में अगले दो हफ्ते में प्रारंभिक रिपोर्ट जारी होनी चाहिए।

उन्होंने वोटर लिस्ट में बड़ी संख्या में लोगों के नाम न होने पर भी अफसोस जताया। कहा कि यह लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है, जिसकी भरपाई करना संभव नहीं है। इससे चुनाव परिणाम प्रभावित होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता।

इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मतदाताओं की संख्या सिर्फ एक आंकड़ा भर नहीं है। जनगणना न होने के कारण यह संख्या अरबन प्लानिंग में संबंधित अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ ही मीडिया और शहरी मुद्दों पर काम करने वालों के लिए भी सहायक हो सकती थी। लेकिन, बड़ी संख्या में वोटर्स के नाम लिस्ट से गायब होने के कारण यह आंकड़ा उपयोगी नहीं रह गया है। ऐसे में जरूरी है कि प्रदेश के समस्त निकायों में कुल कितने लोगों के नाम लिस्ट में नहीं थे, इसकी राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जांच की जाए और एक महीने के भीतर वार्डवार और निकायवार मिसिंग वोटर्स की सूची जारी की जाए।

अपनी तीसरी मांग रखते हुए अनूप नौटियाल कहा कि अगले एक महीने के दौरान राज्य के सभी 100 नगर निकायों में चुनावी स्टेकहोल्डर सभाओं का आयोजन किया जाए। इन सभाओं में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, चुनाव में लगे अधिकारियों और कर्मचारियों, चुनाव में किसी न किसी रूप से सक्रिय रहे सामाजिक संगठनों के लोगों, राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही मीडिया के लोगों को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए।

इन चुनावी स्टेकहोल्डर सभाएं में उन तमाम मुद्दों पर चर्चा की जानी चाहिए, जिनके कारण चुनाव में अव्यवस्था और लापरवाही हुई और उनसे सबक लेते हुए भविष्य में सुधार के लिए रोडमैप बनाना चाहिए। सभाओं में निकले निष्कर्ष के आधार पर भी विस्तृत रिपोर्ट जारी की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में होने वाले चुनावों में इन कमियों को दूर करते हुए चुनावी सुधार किए जा सकें।

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