उत्तराखंड

सर्विस ट्रिब्युनल ने अवैध मानते हुये निरस्त किये एस.एस.पी. व आई.जी. के आदेश

सर्विस ट्रिब्युनल ने अवैध मानते हुये निरस्त किये एस.एस.पी. व आई.जी. के आदेश

उत्तराखंड।

सब इंस्पैक्टर को दी गयी निन्दा प्रविष्टि को अति शीघ्रता एवं मिलीभगत के संदेह/परिकल्पना मात्र के अन्तर्गत माना
वाहन दुर्घटना की विवेचना में गलत चालक दर्शाने का आरोप लगाकर किया गया था महिला दरोगा को दण्डित
काशीपुर। उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारी अधिकारियों के सेवा सम्बन्धी मामलों का निर्णय करने वाले विशेष न्यायालय (ट्रिब्युनल) की नैनीताल पीठ ने एस.एस.पी. अल्मोड़ा तथा आई.जी कुमाऊं नैनीताल के पुलिस सब इंस्पैक्टर जरन्नुम सईद के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही में किये गये दण्ड आदेश को निरस्त कर दिया। ट्रिब्युनल सदस्य (प्रशासनिक) कैप्टन आलोक शेखर तिवारी की बंेच ने महिला दरोगा की याचिका पर एस.एस.पी. के दण्ड आदेश तथा आई.जी. के अपील आदेश को स्थिर रखने योग्य नहीं होने तथा विधिविरूद्ध मानते हुये निरस्त किया है।

वर्तमान में काशीपुर जी.आर.पी. चैकी इंचार्ज उपनिरीक्षक तरन्नुम सईद की ओर से अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण की नैनीताल पीठ में याचिका संख्या 16 सन 2025 दायर की थी। इसमें कहा गया था कि जब 2021 में वह थाना सल्ट जिला अलमोड़ा में तैनात थी तो वाहन दुर्घटना सम्बंधी मुकदमा संख्या 09/2021 की विवेचना उसे सौंपी गयी। याची द्वारा अपने कर्तव्यों का पूर्ण ईमानदारी व कर्मठता से पालन करते हुये वाहन मालिक व अन्य सम्बंधित गवाहों के बयान दर्ज किये गये। बयानों में तत्समय सुरेन्द्र सिंह तथा वीरेन्द्र सिंह दो व्यक्तियों के नाम आने पर दोनों की सीडीआर लोकेशन प्राप्त करने हेतु एसएसपी को प्रार्थनापत्र प्रेषित किया जो उसकी दौराने विवेचना प्राप्त नहीं हुई एवं प्रकरण की गहन विवेचना हेतु मौके पर मौजूद लोगों द्वारा बनायी गयी वीडियो प्राप्त कर वीडियो में दिखाई पड़ रहे व्यक्तियों के बयान लेना शेष था। इसी मध्य विवेचना तत्कालीन थानाघ्यक्ष को हस्तांतरित कर दी गयी। इसके उपरान्त भी विवेचना विभिन्न पुलिस अधिकारियों को हस्तांतरित हुई।

इस प्रकरण में प्रारंभिक जांच पुलिस उपाधीक्षक, रानीखेत से करायी गयी जिन्होंने अपनी जांच आख्या में बिना स्वतंत्र साक्ष्यों तथा याची के पक्ष को विचार में लिये, बिना स्वतंत्र गवाहों तथा साक्ष्यों के याची को जानबूझकर भटकाने तथा वाहन स्वामी को बीमा लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से विवेचना कर वाहन चालक वीरेन्द्र सिंह को प्रकाश में लाये जाने के दोषी होने का निष्कर्ष दे दिया।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने इस जांच आख्या को आधार बनाते हुये अपने आदेश 06-05-2023 से उपनिरीक्षक की वर्ष 2023 की चरित्र पंजिका में परिनिन्दा लेख अंकित करने का आदेश दे दिया। उपनिरीक्षक द्वारा इसकी अपील आई.जी. कुमाऊं परिक्षेत्र नैनीताल को की गयी लेकिन उन्होंने भी अपील पर निष्पक्ष रूप से विचार किये बगैर अपील आदेश दिनांक 05 अप्रैल 2024 से निरस्त कर दिया। इस पर उपनिरीक्षक तरन्नुम सईद द्वारा अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन के माध्यम से उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण की नैनीताल पीठ में दावा याचिका दायर की। याचिका में विभागीय दण्ड के आदेश व अपील आदेश को निरस्त करके तथा उसके आधार पर रूके सेवा लाभों को दिलाने का निवेदन किया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से नदीम उद्दीन ने विभागीय जांच दण्ड आदेश व अपील आदेश को अवैध, निराधार तथा प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन के आधार पर निरस्त होने योग्य बताया।
अधिकरण के सदस्य (प्रशासनिक) कैप्टन आलोक शेखर तिवारी की पीठ ने नदीम के तर्कों से सहमत होते हुये प्रकरण में दी गयी निन्दा प्रविष्टि को स्पष्ट रूप से अतिशीघ्रता में एवं मिलीभगत के सन्देह/परिकल्पना मात्र के अन्तर्गत दी गयी प्रतीत होती है तथा विधिक दृष्टिकोण से स्थिर रखे जाने योग्य नहीं माना तथा इसके आधार पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अल्मोड़ा द्वारा दिये गये दण्ड आदेश तथा आई.जी. कुमाऊं के अपील आदेश को विधि विरूद्ध मानते हुये निरस्त कर दिया।

इसके साथ ही एस.एस.पी. को आदेश दिया कि वह याची की चरित्र पंजिका व अन्य अभिलेखों मेें दर्ज परिनिन्दा प्रविष्टि को 30 दिन के अन्दर विलुप्त करें एवं समस्त प्रमाणिक सेवालाभ अवमुक्त करते हुये तदुपरान्त अनुमन्य अन्य सेवालाभ भी प्रदान किये जार्यें।

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