पंचायतों के परिसीमन में क्षेत्रफल हो आधार
पंचायतों के परिसीमन में क्षेत्रफल हो आधार
जनसंख्या से पहाड़ी क्षेत्र में पंचायतें होंगी कम
उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन ने सीएम धामी को लिखा खत
राजस्व गांव की बाध्यता भी हो समाप्त
2011 की जनगणना पर परिसीमन करना गैर संवैधानिक
पिथौरागढ़।
उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत संगठन ने राज्य के 12 जनपदों में पंचायत के हो रहे परिसीमन में जनसंख्या की जगह क्षेत्रफल को आधार बनाए जाने की मांग उठाई। संगठन ने आज प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस आशय का ज्ञापन भेजा है। उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में परिसीमन का आधार अगर क्षेत्रफल नहीं रहा तो ग्राम पंचायतों के साथ-साथ अन्य दो पंचायतों की संख्या कम हो जाएगी। उत्तराखंड में के 12 जनपदों में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत के वार्ड का परिसीमन किया जा रहा है।
परिसीमन के सामान्य आंकड़ों के अनुसार पर्वतीय जनपदों में से हो रहे पलायन के कारण ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत के वार्डों की संख्या घटने की संभावना है।
इस बात पर चिंता व्यक्त करते हुए संगठन के प्रदेश संयोजक जगत मर्तोलिया ने आज प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ईमेल के माध्यम से पत्र भेज कर परिसीमन पर पुनर्विचार करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि परिसीमन का आधार जनसंख्या के स्थान पर क्षेत्रफल किया जाना चाहिए। अगर क्षेत्रफल किया जाता है तो पंचायत विघटित होने से बच जाएंगे।
पंचायतें बचेंगे तो पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन भी कम होगा।
उन्होंने कहा कि नई पंचायत के गठन के लिए राजस्व गांव का होना आवश्यक बताया जाता है। पर्वतीय क्षेत्र के अधिकांश क्षेत्र में राजस्व गांव की संख्या बेहद कम है। इस कारण से नई पंचायत का गठन भी नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि 2011 के बाद जनगणना नहीं हुई है।
2021 में जनगणना होनी थी। इसी जनगणना के अनुसार परिसीमन भी किया जाना कानूनन आवश्यक है। इसलिए 2011 की जनगणना के अनुसार किसी भी पंचायत को समाप्त किया जाना असंवैधानिक है।
इसलिए जनगणना के अभाव में यह कानून भी सरकार को लाना चाहिए कि किसी भी पंचायत को प्राप्त नहीं किया जाएगा।
इसलिए सरकार को राजस्व गांव की बाध्यता को भी समाप्त किया जाना चाहिए।
एक किलोमीटर से दूरी पर अगर कोई वार्ड है तो वहां पर नई ग्राम पंचायत गठित किए जाने का रास्ता साफ किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र के गांव को अगर जन शून्य होने से बचाना है तो सरकार को तत्काल भौगोलिक आधार पर परिसीमन किए जाने का कानून प्रदेश के भीतर लाना चाहिए। इसके लिए पंचायत संगठन भी सरकार के साथ आगे बातचीत करेगी।