उत्तराखंड कांग्रेसः टिकट के बाद डॉटा बेचने का भी आरोप

पार्टी नेता भंडारी ने फेसबुक पोस्ट में किया खुलासा
पहले 2017 में भी बेचा गया था पार्टी का डॉटा
बूथ और ब्लाक नेताओं को किया नजरअंदाज
देहरादून। सत्ता पर काबिज होने का मौका खोने के बाद उत्तराखंड कांग्रेस में घमासान मचा है। पहले चेले ने अपने सियासी उस्ताद पर टिकट बेचकर खजाना भरने का आरोप लगाया तो अब पार्टी के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता राजेंद्र एस भंडारी ने पार्टी का डॉटा बेचने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता राजेंद्र एस भंडारी पार्टी की हार से हलकान है। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट लिखी है। इसमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस चुनाव में हार की जब भी समीक्षा करेगी और यदि मेरे जैसे छोटे कार्यकर्ता से पूछा जाएगा तो मैं एक ही बात बोलूंगा जब तक ईमानदारी से बूथ औऱ ब्लॉक पर कार्य करने वाले कार्यकर्ता को मजबूत नहीं करोगे और लगातार नज़र अंदाज़ करते रहोगे तो जीत आपसे दूर होती जाएगी। मैं 2017 के चुनाव का यंहा वर्णन करना चाहता हूं किशोर उपाध्याय जी के नेतृत्व में लगभग 250 कार्यकर्ता /नेताओ ने 2015 की शुरुआत से 2016 सितंबर तक दिन रात मेहनत कर पूरे प्रदेश के गांव-गांव, शहर शहर, मुहल्ले मुहल्ले जाकर बूथ कांग्रेस कमेटी, ग्राम कांग्रेस कमेटी , बाजार कांग्रेस कमेटी ,वार्ड कांग्रेस कमेटी ,ब्लॉक कांग्रेस कमिटी, जिला कांग्रेस कमेटी का मजबूती से गठन किया था। लगभग 5 लाख कार्यकर्ताओ का एक डॉटा तैयार किया था। तभी तथाकथित डॉटा चोर प्रशांत किशोर की कांग्रेस भवन में इंट्री होती है। किशोर उपाध्याय जी से डॉटा मांगा जाता है। गरमागरम बहस होती हैं दिल्ली के नाम पर चुप कराया जाता है और फिर मेरे से सारा डेटा pk के हवाले करवाने का आदेश दिया जाता है। औऱ पूरे संगठन को घर बिठा दिया जाता हैं ,हश्र आपके सामने था कांग्रेस 11 पर सिमट गयी थी, बाद में पता लगा कि वह बीजेपी से मिला हुआ था उसने कई सौ करोड़ में डॉटा बेचा था।
अब बारी आती है 2022 की। नए प्रभारी आते है वो कॉरपरेट कि तरह कांग्रेस को चलाने का फरमान देते हैं। एक अलग संगठन तैयार होता है जिसमें प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका नगण्य होती है,धीरे धीरे कांग्रेस का एक वर्ग या धनाढ्य वर्ग प्रभारी जी के आगे पीछे चक्कर लगाने लग गया, इस दौरान प्रभारी जी द्वारा एक फरमान जारी होता है प्रत्येक विधानसभा से 5-6 बॉयोडाटा मांगा जाने लगा। यहां तक तो ठीक था लेकिन उसके बाद प्रत्येक आवेदन कर्ता से प्रत्येक बूथ कमेटी की लिस्ट व अन्य संगठनों से नाम फ़ोन नंबर मांगे जाने लगे मतलब एक दावेदार से 1000 से 2000 नाम फ़ोन मांगे जाने लगे, मैंने इस प्रक्रिया का उस समय विरोध किया। मैंने प्रभारी जी को बोला आप सिर्फ संगठन से लिस्ट मांगो। वही असली है औऱ उन्ही के दम पर चुनाव लड़ा जाना है, बाकी जिसको टिकट मिल गया उसको छोड़कर सबने इसका दुरुपयोग करना है लेकिन मेरी बात नही मानी गयी हश्र सबके सामने ,कही विधानसभा में उन्ही डेटा देने वाले या तो खुद कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लडे या दूसरी पार्टी को डेटा बेचकर कांग्रेस के प्रत्याशी को हराने का काम किया।
यहां बता दें कि इससे पहले पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत ने हरदा पर सीधा लगाया है कि उन्होंने टिकट बांटने के नाम पर अपना खजाना भरा है। अब एक सक्रिय कार्यकर्ता की फेसबुक पोस्ट ने उत्तराखंड कांग्रेस की कार्यशैली पर तमाम सवालिया निशान लगा दिए हैं।