अभिनव के लिए मुफीद साबित हुई धामी से नजदीकी
दीपम फिलवक्त आए नहीं और प्रसाद तलाश रहे हैं विकल्प

देहरादून। आईपीएस अफसर अभिनव कुमार के लिए सीएम धामी से खास नजदीकी मुफीद साबित हुई और सीएम पुष्कर सिंह ने उन्हें तमाम कयासों को धता बताते हुए कार्य़वाहक डीजीपी बना दिया। अब देखना होगा कि जब स्थायी डीजीपी की तैनाती होगी तो सीएम धामी किस अफसर पर दांव खेलना चाहेंगे।
लंबे समय से नए डीजीपी की तैनाती पर तमाम कयास लगाए जा रहे थे। चर्चा में सबसे वरिष्ठ आईपीएस दीपम सेठ और दूसरे नंबर पर पीवीके प्रसाद और अभिनव के ही नाम थे। सरकार को तीन नामों का पैनल यूपीएससी को भेजना था। उसके बाद डीपीसी करके नाम सरकार के पास वापस आने थे। इस पैनल में से सरकार जिस भी अफसर का चयन करती तो उसे पहले गृह मंत्रालय से मंजूरी लेनी होती। पता नहीं क्यों सरकार ने इस सिस्टम को फालो नहीं किया। ऐसे में सरकार के पास कार्यवाहक डीजीपी का ही रास्ता बचता है।
अब सीएम धामी ने अभिनव कुमार को कार्यवाहक डीजीपी का ओहदा दे दिया है। इसकी एक वजह यह भी है कि दीपम सेठ ने अभी तक आईटीबीसी से उत्तराखंड में अपनी आमद दर्ज नहीं कराई है। बताया जा रहा है कि वे नियमित नियुक्ति के ही इच्छुक थे। और यह भी कहा जा रहा था कि कार्यवाहक डीजीपी के लिए सीएम धामी को किसी की मंजूरी की भी जरूरत नहीं है। ऐसे में सेठ उसी वक्त आईटीबीपी से रिलीव होते, जब उन्हें कोई स्पष्ट आश्वासन मिलता। अब बात दीपम के बाद पीवीके प्रसाद की। हो सकता है कि वे खुद से किसी जूनियर को यह प्रभार मिलने से खुश न हो। ऐसे में वे क्या करेंगे, ये आने वाला वक्त ही बताएगा।
अहम बात यह है कि अभिनव की ताजपोशी में सीएम धामी से उनकी नजदीकी का ही रोल रहा है। पहली बार सीएम बनने पर धामी उन्हें अपना प्रमुख विशेष सचिव बनाकर लाए। साथ ही सूचना एवं युवा कल्याण जैसे अहम विभागों को मुखिया बनाया। किन्हीं वजहों से उनसे सूचना विभाग वापस ले लिया गया पर युवा एवं खेल विभाग अभिनव के पास ही रहा। बाद में ये विभाग भी उनके पास से हटाए गए पर वे सीएम के विशेष प्रमुख सचिव बने रहे। साथ ही अभिनव को अभिसूचना का भी प्रभार दे दिया गया। इसी से सत्ता में उनकी हनक का अंदाजा लगाया जा सकता है।
अब देखने वाली बात ये होगी कि धामी सरकार की ओर से नियमित डीजीपी के चयन के लिए प्रक्रिया कब शुरू करती है या फिर अभिनव से ही लंबे समय तक काम चलाया जाता है।