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दलित उत्थान को संघर्षरत रहीं पुष्पलता का निधन

लुधियाना में ली अंतिम सांस

लुधियाना।दलितों के उत्थान एवम् उन्हें बराबरी का दर्जा दिलवाने के लिए आजीवन संघर्षरत् एवम् प्रयासरत रहीं सुप्रसिद्ध समाजसेविका श्रीमती पुष्पलता उपाध्याय ने पंजाब के लुधियाना शहर में अन्तिम सांस ली। वह प्रख्यात न्यायविद एवम् ‘हिन्दी से न्याय ‘ इस देशव्यापी अभियान के नेतृत्व-पुरुष चन्द्रशेखर पण्डित भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय की मां थी। 

वे संघ के प्रचारक एवम्  भारतीय जनसंघ के सबसे कम आयु के राष्ट्रीय मंत्री रहे पंडित केसी उपाध्याय को ब्याही थीं।  विवाह से पूर्व राष्ट्र सेविका समिति की कार्यकर्ती के दायित्व का निर्वहन भी उन्होंने किया। वे भारतीय जनसंघ में राजमाता विजया राजे सिंधिया एवम् हींगोरानी के साथ जन-आन्दोलनों  में सक्रिय रहीं ,बाद में तत्कालीन संघ प्रमुख गुरु गोलवरकर के शुभाशीष से दलितों को उनका हक दिलाने के लिए लड़ती रहीं। परिवार में संघ एवम् भारतीय-जनसंघ के राष्ट्रीय नेताओं के अलावा प्रख्यात सोशलिस्ट डाक्टर राम मनोहर लोहिया, राजनारायण चौधरी चरण सिंह समेत  अनेक बड़ी राजनीति हस्तियों का लगातार आना-जाना रहता था।

श्रीमती इन्दिरा गाँधी उनके संघर्ष से बहुत  प्रभावित थीं, उन्होंने 1975 में उन्हें कांग्रेस में आने का निमंत्रण दिया था ,उस समय उनके पति मीसा-बन्दी के रूप में जेल में बन्द थे, पूरा घर सील था, उनके निकट  रिश्तेदार आगरा से कांग्रेस के विधायक थे, उन्होंने इन्दिरा जी को कहा था,’ मैं आपकी नेतृत्व-क्षमता से चमत्कृत हूँ, लेकिन मैं आपके आपातकाल लागू करने के फैसले से सहमत नहीं हूँ,’ इन्दिरा जी ने इस पर उनकी प्रशंसा की थी, उन्होंने आपातकाल के कारण अल्पायु में अपने पति को खोया था । आज दोपहर तीन बजे लुधियाना के सिविल-लाइन्स स्थित शमशान-घाट  पर उनके पुत्र चन्द्रशेखर ने उन्हें मुखागिन दी  बड़ी संख्या में अश्रुपूरित लोगों ने उन्हें अन्तिम विदाई दी, बड़ी संख्या में मौजूद दलितों ने अपनी नेता को अन्तिम प्रणाम किया।

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