कांग्रेसी वोटरों को पसंद नहीं आते ‘दलबदलू’ नेता
भाजपाई वोटर ऐसे नेताओं को करते हैं ‘दुलार’
कांग्रेस में गए संजीव आर्य़ नैनीताल से हारे
भाजपा छोड़ने वाले यशपाल बमुश्किल जीते
भाजपा से कांग्रेस में गए मालचंद की भी हार
कांग्रेस में आए हरक की पुत्र वधु अनुकृति हारीं
कांग्रेस से भाजपा में गए किशोर को मिली जीत
नई नवेली भाजपाई सरिता आर्य भी रहीं विजयी
देहरादून। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों में जमकर दलबदल हुआ। नतीजों पर गौर करें तो लग रहा है कि कांग्रेसी मतदाताओं को दलबदलू नेता पसंद नहीं। इसके विपरीत भाजपाई वोटरों ने दलबदलू नेताओं को जमकर दुलार दिया।
पहले बात करते हैं भाजपा छोड़कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले नेताओं की। साढ़े चार साल तक भाजपा सरकार में मंत्री रहे य़शपाल आर्य अपने पुत्र संजीव के साथ चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए। य़शपाल ने कांग्रेस के टिकट पर बाजपुर सीट से चुनाव लड़ा। मतगणना के सातवें चक्र पर य़शपाल भाजपा प्रत्याशी के पीछे रहे। अंत में बमुश्किल साढ़े ग्यारह सौ वोटों से ही जीत सके। उनके पुत्र संजीव को कांग्रेस ने नैनीताल सीट से टिकट दिया। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
इसी तरह से पुरोला सीट पर भाजपा छोड़ने वाले पूर्व विधायक मालचंद ने इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। लेकिन मतदाताओं ने उन्हें नकार दिया। लगभग पांच साल तक भाजपा सरकार में मंत्री रहे डॉ. हरक सिंह रावत चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए और अपनी पुत्र वधु अनुकृति को लैंसडौन सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़वाया। अनुकृति को भी हार का सामना करना पड़ा।
अब बात भाजपा में आने वालों की। चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और महिला कांग्रेस की अध्यक्षा सरिता आर्य ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने किशोर को टिहरी और सरिता को नैनीताल विस सीट से टिकट दिया। अहम बात यह रही कि दोनों को मतदाताओं ने हाथों-हाथ लिया और दोनों ही अपना चुनाव जीत गए। यहां बता दें कि 2017 के चुनाव में कांग्रेस सरकार के काबीना मंत्री यशपाल आर्य़ अपने पुत्र संजीव के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए। उस चुनाव में य़शपाल बाजपुर और संजीव नैनीताल सीट से भाजपा के टिकट पर बड़े मार्जिन से जीते थे।