बड़ा सवालः क्या त्रिवेंद्र सरकार के एक और फैसले पर संकट !
गैरसैंणः यूं कैसे बनेगी ग्रीष्मकालीन राजधानी ?
अब गैरसैंण नहीं देहरादून में होगा विस का बजट सत्र
कुछ विधायकों ने चारधाम यात्रा का दिया था ‘वास्ता’
यात्रा तो हर साल ‘गर्मियों’ के मौसम में ही है होती
कमिश्नरी का प्रस्ताव भी सरकारी फाइलों में है ‘कैद’
देहरादून। हर चुनाव में गैरसैंण राजधानी एक मुद्दा बनता है और फिर पांच साल ठंडे बस्ते में चला जाता है। इस बार का बजट सत्र पहले गैरसैंण में होना था। लेकिन अब चारधाम यात्रा का हवाला देकर देहरादून में ही करने का फैसला हुआ है। पिछले लंबे समय से गैरसैंण के लिए सिस्टम ने कुछ नहीं किया है। कमिश्नरी की घोषणा भी सरकारी फाइलों में कैद है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने के त्रिवेंद्र सरकार के फैसले पर फिर से संकट खड़ा हो गया है।
तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र ने गैरसैंण में चल रहे विस सत्र के दौरान ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने और कमिश्नरी का दर्जा देने की घोषणा की थी। उनके कुर्सी के हटने के बाद इस दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया गया है। आम चुनाव के बाद पहला ग्रीष्मकालीन सत्र गैरसैंण में आयोजित करने की घोषणा की गई थी। इसका कुछ विधायकों ने यह कहते हुए विरोध किया कि इस समय चारधाम यात्रा चल रही है। ऐसे में गैरसैंण में विस के सत्र से तमाम तरह की समस्याएं सामने आएंगी। इसके बाद तय किया गया है कि विस का सत्र अब ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण की बजाय अस्थायी राजधानी देहरादून में होगा।
ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा पर भी कुछ संकट खड़ा हो रहा है। इसे इन तथ्यों के प्रकाश में देखें कि घोषणा के बाद सरकारी सिस्टम ने इस दिशा में एक भी कदम आगे नहीं बढ़ाया है। इतना ही नहीं, गैरसैंण को सूबे की तीसरी कमिश्नरी बनाने की घोषणा को भी सरकारी फाइलों में ही कैद कर दिया गया है। तीसरा सबसे अहम तथ्य चारधाम यात्रा का तर्क है। यह यात्रा हर साल गर्मियों के मौसम में ही होती है। अगर चंद दिनों के सत्र से इस यात्रा पर असर पड़ने के तर्क में कोई सत्यता है तो अगर गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया गया तो यात्रा कैसे होगी। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र की गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा पर भी फिलवक्त संकट ही दिख रहा है।