इतिहास में दर्ज हुआ त्रिवेंद्र का नाम
आखिरकार बीस साल बाद उत्तराखंड को मिली ग्रीष्मकालीन राजधानी
कांग्रेस के सामने बड़ी लकीर खींचने की चुनौती
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। बीस सालों बाद ही सही गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी को घोषणा पर अमल करके सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपना नाम उत्तराखंड के इतिहास में दर्ज करा लिया है। अब 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी इस मुद्दे पर मौन साधने वाली कांग्रेस के सामने बड़ी लकीर खींचने की चुनौती है।
भाजपा ने अलग राज्य बनाया पर राजधानी के नाम पर अस्थायी लफ्ज के साथ देहरादून जोड़ दिया। इसके बाद से ही भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सियासी दल इस मुद्दे पर जनभावनाओं से खेलते रहे। दिखावे के लिए काम किए गए। गैरसैंण में राजधानी के सपने को मूर्त रूप नहीं दिया जा सका। बीस सालों में कांग्रेस 10 साल सत्ता में रही तो अंतरिम सरकार के बाद से राजधानी की घोषणा तक आठ साल भाजपा सत्ता में रही।
मार्च में गैरसैंण (भराणीसैंण) में विस सत्र के दौरान सीएम त्रिवेंद्र ने अचानक ही ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा करके सभी को चौंका दिया। पहले यह लग रहा था कि कहीं ये महज एक घोषणा ही न रह जाए। विगत दिवस सीएम ने ई-कैपिटल की बात की तो इसे और बल मिला। लेकिन आज राज्यपाल की सहमति के बाद मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी के विषय में आदेश जारी कर दिया। इस आदेश के साथ ही सीएम त्रिवेंद्र का नाम उत्तराखंड के इतिहास में दर्ज हो गया है।
अब कांग्रेस के सामने इस मामले में सियासत करने को महज स्थायी राजधानी की बात ही बची है। कांग्रेस अगर इस मामले में भाजपा से किसी तरह की सियासी बढ़त लेना चाहेगी तो उसे बड़ी लकीर खींचनी होगी। साफ है कि कांग्रेस को अब गैरसैंण में स्थायी राजधानी की बात करनी होगी।