एक्सक्लुसिव

क्या नकल माफिया के आकाओं पर पहुंच पाएगी एसआईटी ?

सीबीआई जांच की मांग ने पकड़ा जोर

आयोग अफसरों से क्यों नहीं हो रही पूछताछ

सदस्यों पर भी अध्यक्ष ने उठाए थे कई सवाल

आउटसोर्स एजेंसी पर बरकरार हैं मेहरबानियां

अखिलेश डिमरी

देहरादून। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक मामले में एसआईटी ने अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा गिरफ्तारियां की हैं। यह चर्चा तेज हो रही है कि नकल माफिया की जड़ें खासी गहरी है। सियासी लोगों और अफसरों पर उसकी खासी पकड़ है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या माफिया के आकाओं तक एसआईटी पहुंच पाएगी। यही वजह है कि सोशल मीडिया में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग तेज हो रही है।

इस बिंदु पर पूरी तरह से सहमति कि UKSSSC भर्ती घोटाले में एसटीएफ की कार्यवाही संतोषजनक और सराहनीय रही है। हाकम सिंह जैसे जनप्रतिनिधि की गिरफ्तारी हो चुकी हो तो इतना तो तय है कि ये काम हाकम सिंह बिना संरक्षण के तो कत्तई नही कर सकता और हाकम सिंह व उस जैसे अन्य इस खेल में महज छोटी मछलियां हैं।

नकल माफिया के तौर पर हाकम सिंह की गिरफ्तारी को भी समझने की जरूरत है उसकी गिरफ्तारी को उसके थाईलैंड से वापसी से लेकर पंजाब नम्बर की गाड़ी में बैठ हिमाचल या कहीं और भागने की फिराक तक सिलसिलेवार देखने समझने की जरूरत है, यह भी समझने की जरूरत है कि वांछित हाकम सिंह हवाई अड्डे के बजाय वहां से लगभग 250 किलोमीटर दूर सीधे सूबे की सीमा तक कैसे पहुंच गया, यह भी जानने की जरूरत है कि जब एक शिक्षक जो कि हाकम सिंह का करीबी है उससे पूछताछ के वक्त हाकम सिंह की लोकेशन कहाँ थी और क्या वह जांच एजेंसियों की जानकारी में थी।

 भले ही इस पूरे प्रकरण पर हुई कार्यवाही पर सत्ताओं में बैठे लोग अपना अपना राजनैतिक लाभ लेने को उत्सुक हों लेकिन इतने बड़े भ्रष्टाचार पर अभी तक आयोग के अध्यक्ष व सचिव से पूछताछ न किया जाना आश्चर्यजनक है। इस्तीफा देने वाले अध्यक्ष ने आयोग के सदस्यों पर भी सवाल खड़े किए थे। इनसे भी कोई पूछताछ नहीं की गई है।

इस भर्ती घोटाले में उंगलियाँ लगातार उस आउटसोर्सिंग एजेंसी की तरफ भी हैं जिसे यह जिम्मा दिया गया था लेकिन उसके चयन से लेकर उस एजेंसी के दुस्साहस के पीछे किसका संरक्षण है इन सवालों की तरफ भी लौट कर देखना होगा….? इसके साथ यह भी देखना होगा कि वह एजेंसी उत्तराखण्ड में किस किस विभाग के किस किस भर्ती परीक्षा अथवा अन्य कामों में शामिल थी और वहां क्या स्थिति है।

 गौर से समझिये देखिये तो इस प्रकरण में वन आरक्षी भर्ती में जिस तरह से वर्ष 2020 में हरिद्वार जनपद में दर्ज की गयी एफआईआर  और उन पर की गई लीपापोती की बातें एक के बाद एक सामने आ रही हैं उसे देख कर इतना तो समझ आता है कि तमाम दबाव के बावजूद एसटीएफ इस  पर अपना सर्वश्रेष्ठ दे चुकी है। सफेदपोशों व सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों की तरफ लगातार उठते सवालों के बाद प्रादेशिक नियंत्रण की इस इकाई के दबाव झेलने की सीमा शायद अब पार होने को होगी अतः अब इस मामले पर वास्तव कार्यवाही की मंशा हो तो मामला अविलंब सीबीआई को  दे दिया जाना चाहिए।

सरकार अभी तक कि कार्यवाही के लिए बधाई की पात्र है लेकिन अभी यक हुई कार्यवाही महज शुरुवात नजर आती है और गिरफ्तार लोग भ्रष्टाचार की दिख रही इस विशाल झील के किनारे पर तैरते हुए छोटे जलचर ही हैं। मजे की बात कि गिरफ्तार हुए भ्रष्टाचारियों में कुछ सरकारी लोग भी है  जिन पर शायद अभी तक सेवा समाप्ति जैसी कार्यवाही करने की सोची भी न गयी हो।

आप राजनैतिक लोगों की प्रतिबद्धता देखिये व फिर राजनैतिक लोगों द्वारा इस पूरे मामले की CBI जाँच की माँग पर बनाये जा रहे दबाव को देखेंगे तो आपको सत्तर विधायकों में से केवल दो  विधायक Bhuwan Kapri  और Umesh Kumar  ही मुखर रूप से इस प्रकरण की सीबीआई जांच की मांग करते हुए नजर आएंगे। भुवन कापड़ी को इसलिए भी याद रखा जाना चाहिए कि 21 वर्षों के उत्तराखण्ड में  वे ही पहले विधायक हैं जिन्होंने सदन में इस मुद्दे को प्रभावी रूप से बेहद संजीदगी के साथ उठाया और पहले दिन से ही सी बी आई जाँच की माँग कर रहे हैं। और उमेश कुमार को इसलिए कि उन्होंने इस विषय पर लगातार बोलते रहने दबाव बनाने का काम किया ।

हालात ये हैं कि एक पूर्व मुख्यमंत्री तो UKSSSC के निवर्तमान अध्यक्ष के इस्तीफे से इतने दुःखी थे कि उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिख डाला कि सरकार उन साहब की प्रतिष्ठा की रक्षा नही  कर पायी ये आदमी युवाओं के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ से चिंतित नहीं था बल्कि इस बात से दुःखी था कि भ्रष्टाचार का अड्डा दिख रहे आयोग के अध्यक्ष को इस्तीफा देना पड़ा। तो ऐसे में आप समझिये कि यह प्रकरण जो कि सूबे के लाखों युवाओं के भविष्य की उम्मीदों के साथ संगठित रूप से किया गया धोखा हो उस पर हमारे राजनेता किस तरह की कार्यवाही की मांग करेंगे…..? फिलहाल वे यह समझ लें कि सूबे की आवाम विशेषतौर पर सूबे के युवा उन्हें देख समझ रहा होगा और उनके पराक्रम को इतिहास के पन्नों की तरह दर्ज भी कर रहा होगा इसलिए हे पराक्रमियों होशियार, खबरदार, समझदार…! इस भर्ती घोटाले की अब सीबीआई जांच हो।

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