केदारधामः ‘हेली सेवाओं’ को दिया “विक्रम”
हेली कंपनियां सुरक्षा मानकों को सरेआम कर रहीं हैं तार-तार

बगैर पंख बंद किए ही बैठाए और उतारे जा रहे यात्री
एक घंटे में चार से पांच चक्कर लगा रहे हेलीकाप्टर
शोर से वन्यजीव और ग्लेशियरों पर पड़ रहा असर
उकाडा का नहीं दिख रहा मनमानी पर कोई नियंत्रण
देहरादून। बाबा केदार में लोगों की आस्था की आड़ में हेली कंपनियां जमकर मनमानी कर रही हैं। सुरक्षा मानकों को ध्यान रखे बगैर ही हेली सेवाओं को विक्रम सेवा की तरह चलाया जा रहा है। तेजी के घूमते पंखों के नीचे से ही यात्रियों को हेलीकाप्टर में बैठाया और उतारा जा रहा है। उकाडा का इन हेली कंपनियों पर कोई भी नियंत्रण नहीं दिख रहा है।
इस संवाददाता ने दो रोज पहले बाबा केदार के दर्शन किए थे। धाम तक जाने के लिए फाटा से हेली टिकट बुक किया था। हेली पैड पर पहुंचने पर अजब ही नजारा दिखाई दिया। हेलीकाप्टर के लैंड करते ही छह यात्रियों को तेजी से चलते पंखों के नीचे ही दरवाजे तक पहुंचाया जा रहा है। पहले से बैठे यात्रियों को लगभग खींचने वाले अंदाज में उतारने के साथ ही जाने वालों को दरवाजे से अंदर धकेला जा रहा है। आलम यह है कि हेलीकाप्टर लैंड करने के महज 50 सेकेंड्स के अंदर ही फिर से उड़ान भर लेता है।
फाटा हैलीपैड से एक हेलीकाप्टर को यात्री बैठाने, धाम में उतारकर नए यात्रियों को बैठाने और फिर फाटा में उतारकर नए बैठाने में 15 मिनट का वक्त ही लग रहा है। ये हेलीकाप्टर लगातार उड़ते और उतरते रहते हैं। न को ऊपर के पंख बंद किए जाते हैं और न ही पिछले हिस्से का छोटा पंख। इस तरह का मनमाना संचालन तीर्थयात्रियों की सुरक्षा से सीधा खिलवाड़ है। इसके बाद भी उकाडा का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।
जानकारी के अनुसार विभिन्न कंपनियों के हेलीकाप्टरों की गड़गड़ाहट का प्रतिकूल असर वन्यजीवों और ग्लेशियरों पर भी पड़ रहा है। उड़ान के दौरान इनसे निकलने वाले कार्बन के वातावरण प्रभावित हो रहा है तो इनक शोर से वन्यजीव परेशान हैं। हेमवती नंदन बहुगुण केंद्रीय विवि के पर्य़ावरण विज्ञान के एचओडी प्रो. आरके मैखुरी ने 2005 से 2012 के बीच इन हेलीकाप्टर पर शोध किया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि इससे आबादी क्षेत्र में लोगों को परेशानी हो रही है। रामवाड़ा के केदारनाथ के बीच रहने वाले वन्यजीव इनके शोर से विचलित हो रहे हैं। यह रिपोर्ट सरकार को भी दी गई थी। लेकिन किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया। अहम बात यह है कि शोध के वक्त हेलीकाप्टरों की संख्या बहुत कम थी। इस वक्त को प्रति घंटे लगभग 25 हेलीकाप्टर उड़ान भर रहे हैं। सुबह छह से शाम छह बजे 12 घंटे में 180 चक्कर ये हेलीकाप्टर लगा रहे हैं।