सरकारी अस्पताल में रेफर न करें कोरोना संदिग्ध
काशीपुर के सीएमएस ने निजी अस्पतालों को जारी किया ‘तुगलकी फरमान’
रेफर न करने पर सीएमओ दे रहे मुकदमे की धमकी
विरोधाभाषी आदेशों से परेशान हैं निजी अस्पताल
देहरादून। ऊधमसिंह नगर जिले के काशीपुर में इन दिनों अजब हालात हैं। सीएमओ का आदेश है कि कोरोना के संदिग्ध मरीजों को पास के सरकारी अस्पताल न भेजने निजी अस्पतालों पर एफआईआर होगी। तो काशीपुर अस्पताल के सीएमएस संदिग्ध मरीजों को रेफर न करने का फरमान जारी कर रहे हैं।
काशीपुर में कई निजी अस्पताल हैं। यहां आने वाले मरीजों के बारे में जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) ने जून में एक आदेश किया है। इसमें कहा गया है कि निजी अस्पतालों या मेडिकल स्टोर पर आने वाले सर्दी, खांसी और जुकाम के साथ ही कोरोना संदिग्ध मरीजों के बारे में तत्काल उन्हें या नजदीकी सरकारी चिकित्सालय में सूचना दी जाए। ताकि उनकी जांच की जा सके। ऐसा न करने वालों के खिलाफ हत्या के प्रयास समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की चेतावनी दी है। सभी निजी अस्पताल इसका पालन भी कर रहे हैं।
अब विगत 17 जुलाई को काशीपुर के एलडी भट्ट उप जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) ने नया फरमान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि काशीपुर के कुछ नर्सिंग होम कोविड-19 की जांच के लिए मरीजों को गंभीर हालत में सरकारी अस्पताल में भेज रहे हैं। इस सरकारी अस्पताल में कोरोना की जांच एक निर्धारित समय पर ही होती है। जांच की एक लंबी प्रक्रिया है। अगर कोविड-19 की जांच के लिए भेजे गए गंभीर मरीज की मृत्यु हो जाती है तो उसका उत्तरदायित्व निजी अस्पताल का होगा। सीएमएस ने अपने आदेश में साफ लिखा है कि गंभीर या अति गंभीर मरीज को काशीपुर की बजाए रुद्रपुर के जेएलएन जिला चिकित्सालय के लिए निजी अस्पताल अपने स्तर से ही रेफर कर दें। किसी भी दशा में कोविड-19 की जांच के लिए काशीपुर सरकारी अस्पताल में रेफर न किया जाए।
अब सवाल यह है कि ये निजी अस्पताल सीएमओ का आदेश मानें या फिर काशीपुर के सीएमएस का। दोनों ही अफसर अपने-अपने अंदाज में निजी अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर की धमकी भी दे रहे हैं। जब जांच की सुविधा काशीपुर में उपलब्ध है तो क्यों किसी गंभीर मरीज को साठ किमी दूर काशीपुर भेजने का फरमान दिया जा रहा है। रास्ते में अगर किसी मरीज की मौत हो गई तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। इस मामले में सीएमओ का पक्ष जानने की कोशिश की गई। लगातार मीटिंग में रहने की वजह से उनसे बात नहीं हो सकी। पक्षा मिलने पर प्रकाशित कर दिया जाएगा।
यह कहना है सीएमएस का
एलडी भट्ट उप जिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. पीके सिन्हा का कहना है कि निजी अस्पताल गंभीर मरीजों को कोरोना टेस्ट के लिए भेज रहे हैं। अस्पताल में आईसीयू नहीं है। ऐसे में उनके जीवन को संकट हो सकता है। रुद्रपुर रेफर करने पर मरीज को इलाज भी मिल जाएगा और कोरोना जांच भी हो जाएगी। इसी वजह से यह आदेश किया गया है।
ये है निजी अस्पतालों का तर्क
संजीवनी अस्पताल के मुकेश चावला कहते हैं कि सीएमओ के निर्देशानुसार सर्दी, खांसी, जुकाम और बुखार के मरीजों को सरकारी अस्पताल भेजा जा रहा है। वहां की फ्लू ओपीडी की रिपोर्ट के बाद निजी अस्पताल इलाज करते हैं। अब सीएमएस ने ऐसे मरीजों को रेफर करने से मना कर दिया है। अगर ऐसे मरीजों को सरकारी अस्पताल नहीं भेजेंगे तो उनके खिलाफ सीएमओ के आदेश पर एफआईआर कराई जा सकती है।