ब्यूरोक्रेसी

निजाम ‘नया’ और अफसरशाही की चाल ‘पुरानी’

सीएम के स्पष्ट आदेश पर भी डिटेच नहीं किए डॉक्टर

मेडिको लीगल मामलों में आ रहीं तमाम दिक्कतें

अधिकांश डॉक्टर भेज दिए हरिद्वार कुंभ मेले में

पीपीपी मोड मोड के डॉक्टर नहीं कर रहे हैं काम

देहरादून। उत्तराखंड में भले ही नया निजाम आ गया है। लेकिन अफसरशाही अपनी पुरानी चाल में ही है। ताजा मामला स्वास्थ्य महकमे का है। सीएम तीरथ सिंह रावत ने मेडिको लीगल मामलों में आ रही तमाम दिक्कतों के निस्तारण के लिए कुंभ मेले से हर अस्पताल के लिए कुछ डॉक्टरों को डिटेच करने का आदेश दिया था। कई दिनों तक यह आदेश फाइलों में घूमता रहा और अंत में पुराने आदेश को ही नए सिरे से जारी कर दिया गया।

त्रिवेंद्र सरकार के समय में सूबे के तमाम सरकारी अस्पताल पीपीपी मोड में दे दिए गए थे। इनमें सरकारी डॉक्टर भी काम कर रहे हैं। इन सभी को कुंभ मेले में भेज दिया गया है। अब मेडिको लीगल मामलों (मारपीट, पोस्टमार्टम आदि) में दिक्कत आ रही है। पीपीपी मोड में काम कर रहे डॉक्टर ये काम करने को तैयार नहीं है। सरकारी व्यवस्था के अनुसार इस काम के लिए पास के अस्पताल में तैनात सरकारी डॉक्टर को भेजा जाता है। लेकिन ये इतने कम है कि मेडिको लीगल परीक्षण में कई दिन लग रहे हैं। पिछले दिनों रामनगर में एक शव का पोस्टमार्टम चार दिन बाद हो सका।

यह मामला एक पत्र के माध्यम से सीएम तीरथ के संज्ञान में लाया गया। सीएम ने इस पत्र में की गई मांग को अंडरलाइन करके आदेश दिया कि हर अस्पताल के लिए कम से कम दो सरकारी डॉक्टरों को कुंभ से डिटेच कर दिया जाए। सीएम का यह लिखित आदेश कई रोज तक सचिवालय में अफसरों की टेबिलों पर पड़ा रहा। बाद में स्वास्थ्य महानिदेशक के स्तर से एक आदेश जारी किया गया। इसमें कहा गया कि मेडिको लीगल मामलों के लिए पास के सरकारी अस्पतालों से डॉक्टरों की व्यवस्था की जाए। अब सवाल यह है कि इस आदेश में नया क्या है। यह आदेश तो पहले से ही था। सवाल यह भी है कि क्या सचिवालय से लेकर निदेशालय तक के अफसर सीएम तीरथ के दो लफ्जों के आदेश को समझ नहीं पाए या फिर अपनी पुरानी कार्य़शैली को छोड़ने को तैयार ही नहीं हो रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button