अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में अभी और खुलेंगी परतें
आयोग अध्यक्ष की विश्वसनीयता पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने राजू पर की हैं तल्ख टिप्पणियां
कोई एक्शन की बजाय बना दिया आयोग अध्यक्ष
लगातार दिया जा रहा है अध्यक्ष को एक्सटेंशन
अब तक की अधिकांश भर्तियों रही हैं विवाद में
फिर भी निजी एजेंसी पर आयोग बना मेहरबान
देहरादून। एसटीएफ ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा किया है। यह अलग बात है कि एसटीएफ अभी तक मगरमच्छ को शिकंजे में नहीं ले सकी है। लेकिन माना जा रहा है कि एसटीएफ जल्द ही बड़ों को भी गिरफ्त में ले लेगी। इन हालात के बीच आयोग की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। खास तौर आयोग अध्यक्ष एस. राजू की नियुक्ति और फिर लगातार एक्सटेंशन सोशल मीडिया में छाया हुआ है।
एसटीएफ द्वारा राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा भर्ती परीक्षा में खुलासे के बाद आयोग की विश्वशनीयता पर तमाम सवालात खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल आयोग अध्यक्ष एस. राजू का है। इस पूर्व आईएएस अफसर की कार्यशैली पर सुप्रीम कोर्ट ने न केवल तल्ख टिप्पणियां कीं, बल्कि जुर्माना तक लगाया था। 2013 में राजू प्रमुख सचिव पेयजल थे। एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजू पर तल्ख टिप्पणियां की। कहा गया कि उनकी विश्वशनीयता, नेतृत्व क्षमता, निर्णय लेने की क्षमताएं, विषय का तकनीकी ज्ञान संदेह के घेरे में है। शीर्ष अदालत ने उन पर 50 हजार का जुर्माना लगाया था।
बावजूद इसके कि इस आदेश पर कार्यवाही होती प्रश्नगत प्रमुख सचिव को राज्य अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया। इतना ही नहीं उन्हें लगातार सेवा विस्तार दिया जाता रहा है।
लगभग पांस साल के अधिक के उनके अध्यक्षी के कार्यकाल में कई भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ियां सामने आई। लेकिन हुजूर अभी भी पद पर बने हुए हैं जबकि उनकी नाक के नीचे उनके ही कार्यालय का एक होमगार्ड, कोचिंग इंसिट्यूट का संचालक, आउटसोर्स कंपनी का कर्मचारी प्रश्न पत्र लीक कर लाखों रुपये के वारे न्यारे कर और लगभग एक लाख साठ हजार युवाओं के भविष्य के साथ मजाक कर अब सलाखों के पीछे हैं।
अहम बात यह भी है कि आयोग ने भर्ती परीक्षा कराने वाली निजी कंपनी को अब तक ब्लैक लिस्ट नहीं किया। एक्शन के नाम पर कहा गया कि कंपनी से गोपनीय काम वापस ले लिया गया। सवाल यह है कि इन निजी कंपनी के आय़ोग के अफसरों का इतना मोह क्यों है। कई भर्ती परीक्षाओं में यह कंपनी युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर चुकी है। लेकिन आयोग के अफसर इस कंपनी पर अब तक उसी तरह से मेहरबान बने हुए हैं, जिस तरह से सरकार अध्यक्ष और सचिव पर।