केदारनाथ धाम में निरीक्षण के लिए पहुंचे यूकाडा के महाप्रबंधक वित्त की हेलीकॉप्टर की चपेट में आने से मौत
यूकाडा के वित्त नियंत्रक अमित सैनी ने रविवार को केदारनाथ पहुंचकर आधा घंटे तक भ्रमण किया। इस दौरान उन्होंने सभी कर्मचारियों का हौसला बढ़ाया। धाम से वापसी के दौरान वे दो बार पीछे मुड़कर जीएमवीएन कर्मचारियों से भी मिले। लेकिन, क्या पता था कि यह उनका आखिरी केदारनाथ दौरा होगा।
केदारनाथ में मौजूद जीएमवीएन के क्षेत्रीय प्रबंधक सुदर्शन सिंह खत्री ने बताया कि हादसे को देखकर ऐसा लगा कि मानो मौत का फरमान आया था। खत्री ने बताया कि अमित सैनी, पर्यटन सचिव रवि शंकर और जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे लगभग पौने दो बजे केदारनाथ पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने धाम में यात्रा व्यवस्थाओं का जायजा लिया और जीएमवीएन कर्मचारियों से मुलाकात की।
करीब 30 मिनट बाद ये अधिकारी वापसी के लिए हेलिपैड की तरफ आए और हेलीकॉप्टर की तरफ आगे बढ़ गए। अमित सैनी अचानक हेलिकॉप्टर के पीछे की तरफ जाने लगे। इस पर हेलिपैड के किनारे खड़े जीएमवीएन के क्षेत्रीय प्रबंधक व अन्य लोगों ने उन्हें आवाज दी लेकिन हेलिकाॅप्टर के शोर के बीच यह उनके कानों तक नहीं पहुंची। इसी दौरान अमित हादसे का शिकार हो गए। उन्होंने बताया कि वे एक ऊर्जावान व हंसमुख अधिकारी थे।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित व पुलिस अधीक्षक डा. विशाखा अशोक भदाणे ने कहा कि इस हादसे को भुलाया नहीं जा सकता। बीते वर्ष केदारनाथ यात्रा के संपन्न होने के एक सप्ताह पहले हेलिकॉप्टर क्रैश में सात लोगों की मौत हो गई थी। अब, यात्रा शुरू होने से दो दिन पहले दर्दनाक हादसे ने पुरानी यादें ताजा कर दी हैं।
केदारनाथ में वर्ष 2010 में केदारनाथ में हेलिपैड पर एक युवक की हेलिकॉप्टर के पंखे की चपेट में आने से मौत हो गई थी। इसके बाद 2013 में 21 जून को निजी कंपनी का हेलिकॉप्टर क्रैश होने से पायलट की मौत हुई थी। 24 जून को केदारनाथ से लौटते समय हेलिकॉप्टर क्रैश होने से पायलट व इंजीनियर की मौत हो गई थी। 25 जून 2013 को सेना का एमआई-17 हेलिकॉप्टर केदारनाथ से वापसी में गौरीकुंड की पहाड़ी से टकरा गया था, जिसमें 20 सैन्य अधिकारी व जवानों की मौत हो गई थी। बीते वर्ष 18 अक्तूबर को केदारनाथ से लौटते समय निजी कंपनी का हेलिकॉप्टर गरुड़चट्टी के समीप क्रैश हुआ, जिसमें पायलट समेत सात लोगों की मौत हो गई थी।