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धाकड़ बल्लेबाजी की खातिर सिपहसालारों ने कराया ‘हिट विकेट’

रितु खंडूड़ी को मंहगी पड़ गई शोहरत की चाह

विस भर्तियों के निरस्तीकरण पर रोक के बहाने

वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश डिमरी के ये हैं सवालात

देहरादून। एक तरफ सीएम धामी धाड़क बल्लेबाजी कर रहे थे तो दूसरी ओर स्पीकर खंडूड़ी पर भी खासा दबाव था। ऐसे में रितु के सलाहकारों ने उन्हें भी उसी अंदाज में बल्लेबाजी करने का रास्ता दिखाया। लेकिन हाईकोर्ट का आदेश साफ इशारा कर रहा है कि रितु खंडूड़ी अपनी बैटिंग पर हिट विकेट हो गई हैं। इसकी वजह सिर्फ इतनी है कि जल्दबाजी में उन्होंने तमाम कानूनी पहलुओं पर विचार ही नहीं किया और खुद भी धाकड़ बनने के लिए कोई भी आदेश कर दिया।

विस में नियुक्तियों को निरस्त करने और फिर उस पर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश पर वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश डिमरी से कई सवाल खड़े किए हैं। इन पर अगर गौर करेंगे तो साफ होगा कि रितु खंडूड़ी इस धाकड़ बल्लेबाजी के चक्कर में हिट विकेट हो गईं हैं। इस बात को अखिलेश के सवालों से समझिए।\

अखिलेश डिमरी

1. ये समझ लिया जाए कि न्यायलय में धामी सरकार पार्टी नहीं थी बल्कि विधानसभा अध्यक्ष या उनसे जुड़े अधिकारी अथवा व्यवस्थाएं पार्टी थी। अतः सरकार को झटका जैसी कोई बात नहीं है पर इतनी सीख जरूर मिलती है कि हर जगह पर धाकड़ धाकड़ बोल देने लिख देने से कभी कभी बाद में परेशानियां भी हो सकती है।

2. सामान्य सी समझ है कि लोकतंत्र में यदि आप खुद को राजा समझ कर बिना प्रक्रियाओं का पालन किये नौकरी पर नहीं रख सकते तो आप किसी को बिना प्रक्रियाओं का पालन किये नौकरी से यूँ ही हटा भी नहीं सकते। अतः सवाल ये है कि जो कुछ हुआ उसके पीछे की असल मंशा क्या थी…? मामले को।ऐतिहासिक बनाने के चक्कर में भविष्य की योजनाएं तब तक सही नहीं हो सकती जब तक कि वास्तव में इरादे स्पष्ट न हो।

4. विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कहा गया कि निरस्त की गई भर्तियों से पूर्व के कार्यकाल की भर्तियों के सम्बंध में वे विधिक राय ले रही है तो जो भर्तियां निरस्त की गयी उनके निरस्तीकरण में विधिक राय ली गयी थी या नहीं अब इस बात का स्पष्ट होना भी आवश्यक है।

 5. जरूरी नहीं कि  पिता कुशल राजनेता अथवा प्रशाशक हों तो पुत्र अथवा पुत्री भी कुशल राजनेता अथवा कुशल प्रशाशक हों।

6. मीडिया मैनेजमेंट के सहारे धाकड़ अथवा ईमानदार ऐतिहासिक होने की घटना कतिपय मामलों में क्षणिक हो सकती है व कभी ऐसे दिन भी देखने पड़ सकते हैं कि जिनको बैकडोर का ताना दे कर भगाया गया हो उनके लिए सामने के द्वार खोलने पड़ जाते हैं।

7. भले ही निजी स्टाफ में को टर्मिनस के आधार पर दिल्ली मुंबई से ही सही घोषित जानकार लोगों को रखा गया हो लेकिन फिर भी एक आद विधि व प्रक्रियाओं के जानकारों को भी जरूर रखा जाना चाहिए ताकि वे बता सकें कि किसी को निकालने के लिए एक अदद 6 लाइन का पत्र कैसे लिखा जाता है ताकि बाद में ज्यादा दिक्कत न हो।

शेष उन लिख्वारों को भी बधाई जिन्हें ये ऐतिहासिक घटनाक्रम इससे पहले कभी नहीं दिखाई दिया था, उन सभी जीजाओं, भाइयों ,पिताओं, मामाओं आदि आदि को भी बधाई जिनके रिश्तेदार मुख्य दरवाजे से नौकरी हेतु जा सकेंगे। पुनः प्रस्तुत होता रहूंगा तब तक के लिए नमस्कार।

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