परिसंपत्तियों के ‘बंटवारे’ पर कांग्रेस और यूकेडी ने उठाए ‘सवाल’
‘छोटे भाई’ के साथ अन्याय कर रहा ‘बड़ा भाई’
अलकनंदा होटल के नाम पर सरकार कर रही गुमराहः माहरा
पीएम मोदी को करना चाहिए इस मामले में हस्तक्षेपः उक्रांद
देहरादून। बड़े भाई उत्तर प्रदेश के साथ छोटे भाई उत्तराखंड का परिसंपत्ति विवाद 22 साल से उलझा हुआ है। सरकार इनके हल की बात कर रही है। लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और उत्तराखंड क्रांति दल इस बंटवारे पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि बड़ा भाई अब भी छोटे भाई के साथ अन्याय कर रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा कहते हैं कि हरिद्वार में एक अलकनंदा होटल लेकर सरकार खुद ही अपनी पीठ थपथपा रही है। असलियत यह है कि इस होटल के ऐवज में यूपी को गंगा किनारे की बेशकीमती जमीन दी गई है। हरिद्वार मेला क्षेत्र, भीमगौड़ा बैराज के साथ ही उत्तराखंड के कई जलाशयों पर यूपी का कब्जा है। टिहरी बांध का पूरा लाभ आज भी यूपी ही ले रहा है। सरकार को कोई बयानबाजी करने की बजाय संपत्ति विवाद को ईमानदारी से सुलझाना चाहिए। ताकि उत्तराखंड के हितों की रक्षा हो सके।
इधर, उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल तथा मुख्य प्रवक्ता सुनील ध्यानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि परिसंपत्तियों का बंटवारा भेदभाव पूर्ण है। इसमें उत्तर प्रदेश उत्तराखंड के साथ नाइंसाफी कर रहा है। पत्र में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट में जीत के बावजूद उत्तराखंड ने आपसी बातचीत का रास्ता खुला रखा लेकिन उत्तर प्रदेश उत्तराखंड की परिसंपत्तियों पर नाजायज हक जमा रहा है। यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया तो उत्तराखंड क्रांति दल इस भेदभाव पूर्ण रवैये के खिलाफ सड़कों पर उतर कर जन आंदोलन चलाएगा।
उक्रांद नेताओं ने कहा कि हरिद्वार के अलकनंदा होटल के बदले में जिस तरह से उत्तर प्रदेश को भागीरथी होटल के लिए जमीन आवंटित की गई है, उससे साफ लगता है कि आने वाले समय में टिहरी डैम से लेकर ऊधमसिंह नगर के नानक सागर, धौरा और बैगुल जलाशय के मामले में भी उत्तराखंड के साथ न्याय नहीं हो पाएगा।