डोईवालाः ‘भाजपा’ से लड़ रही ‘भाजपा’ ही !
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह प्रतिष्ठा से जुड़ी भाजपा की जीत
नेताजी का ध्यान फिर भी रायपुर सीट पर ज्यादा
बागी जितेंद्र नेगी के साथ जुटे अधिकांश भाजपाई
देहरादून। जिले की डोईवाला सीट पर गजब की सियासत चल रही है। इस सीट पर फिलवक्त तो भाजपा ही भाजपा से लड़ती दिख रही है। यह सीट पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रतिष्ठा से सीधे तौर पर जुड़ी है। इसके बाद भी नेताजी का ध्यान एक खास कारण से रायपुर सीट पर ज्यादा है।
इस सीट से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 2017 का चुनाव भारी मतों से जीता था। फिर उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी भी मिली। पिछले साल मार्च में त्रिवेंद्र को अचानक ही सीएम की कुर्सी से हटा दिया गया। उसी समय चर्चा तेज हो गई थी कि 2022 के चुनाव में त्रिवेंद्र को शायद ही भाजपा टिकट दे। हुआ भी कुछ ऐसा ही। हालात को भांप त्रिवेंद्र ने पहली सूची आने से पहले ही चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया।
इसके बाद इस सीट से पहले दीप्ति रावत को टिकट मिलने की बात चली। लेकिन त्रिवेंद्र ने किसी तरह से अपने चहेते ब्रजभूषण गैरोला को टिकट दिलवा दिया। इसके बाद से ही भाजपा धड़ों में बंट गई। भाजपा नेता जितेंद्र नेगी और सौरभ ने भी नामांकन कर दिया। सौरभ तो मान गए। लेकिन जितेंद्र मैदान में डटे हैं। बताया जा रहा है कि स्थानीय प्रत्याशी के नाम पर अधिकांश भाजपा नेता नेगी के साथ खड़े हो गए हैं। कइयों को भाजपा ने निष्कासित भी किया। इसके बाद से पार्टी प्रत्याशी का विरोध और भी गहरा गया है। लोग खुलकर नेगी के लिए काम कर रहे हैं।
इस चुनाव में त्रिवेंद्र की महज इतनी ही चली कि उन्होंने गैरोला के लिए टिकट हासिल कर लिया। ऐसे में इस सीट से गैरोला की जीत भाजपा से ज्यादा त्रिवेंद्र के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई हैं। अहम बात यह भी है कि सीएम रहते त्रिवेंद्र के सबसे खास रहे एक ओएसडी ने भी उनका साथ छोड़ दिया है। इतना होने के बाद भी त्रिवेंद्र की रुचि पता नहीं क्यों पड़ोस की सीट रायपुर पर ज्यादा है। उनके कई खास लोग इस रायपुर सीट पर अपने-अपने तरीके से सक्रिय है। ऐसे में डोईवाला सीट पर भाजपा का क्या हाल होगा, यह तो आने वाले समय में ही साफ होगा।
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