ढेंचा बीज घोटले से बचाया, ‘गधा’ का तमगा पाया
हरक ने कांग्रेस शासन में भाजपा नेता को दी क्लीन चिट
कृषि निदेशक और चार अधिकारी भी बच निकले
2012 में कांग्रेस ने बनाया था एक अहम मुद्दा
मंत्री ने गोपनियता की शपथ को भी किया भंग
देहरादून। उत्तराखंड के बहुचर्चित ढेंचा बीज घोटाला फिर से सुर्खियों में हैं। हालात ये हैं कि कांग्रेस ने 2012 के चुनाव में इसे मुद्दा बनाया और कांग्रेस की सरकार के मंत्री हरक सिंह ने आरोपियों को क्लीन चिट दे दी। अहम बात यह है हरक ने मंत्री पद की शपथ को तोड़ते हुए इसका खुलासा किया। लेकिन मुख्य आरोपी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरक को इशारों में गधा बता दिया।
2007 में भाजपा सरकार की समय में ढेंचा बीच घोटाला खासा चर्चा में रहा। तत्कालीन कृषि मंत्री त्रिवेंद्र सिंह के साथ ही कृषि निदेशक और चार मुख्य कृषि अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे। भाजपा सरकार ने कुछ किया नहीं पर 2012 में बनी कांग्रेस सरकार ने इसकी जांच के लिए त्रिपाठी आयोग का गठन किया। आयोग की रिपोर्ट में सभी आरोप सही पाए गए। लेकिन कांग्रेस सरकार ने मौन साध लिया।
अब मौजूदा काबीना मंत्री हरक सिंह रावत कह रहे हैं कि उन्होंने दो पेज का नोट लिखकर त्रिवेंद्र को बचाया था। वो यह भी कह रहे हैं कि त्रिवेंद्र को बचाने का नोट उन्होंने अजय भट्ट और भगत सिंह कोश्यारी को भी दिखाया था। अब सवाल यह है कि हरक ने क्या केवल त्रिवेंद्र को बचाया या फिर तत्कालीन कृषि निदेशक मदन लाल और चार जिला कृषि अफसरों को भी क्लीन चिट दी। तो ये मान लिया जाए कि आपसी मिलीभगत के चलते इस घोटाले पर कफन डाल दिया गया।
अब एक दो सवाल ये। क्या किसी घोटाले को दफन करके हरक ने अफसरों पर अहसान किया है। दूसरा ये कि हरक से मंत्री पद की गोपनियता की कसम तोड़ी है तो भाजपा और कांग्रेस दोनों मौन क्यों हैं। क्या हरक पर इस मामले में एक्शन नहीं होना चाहिए। इस मामले का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि जिन त्रिवेंद्र को हरक ने अफसरों के साथ बचाया था। वही त्रिवेंद्र उन्हें गधा का तमगा दे रहे हैं। मीडिया ने त्रिवेंद्र से पूछा कि हरक कह रहे हैं कि उन्होंने ढेंचा बीच घोटाले में जेल जाने से बचाया तो त्रिवेंद्र ने कहा कि हमारे यहां गधा ढेंचा-ढेंचा ही बोलता है।
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