राजनीति

गैरसैंण से टूटी कुमाऊं-गढ़वाल की सीमाएं

जनभावनाओं को सीएम त्रिवेंद्र लगा रहे आशाओं के पंख

अब गैरसैंण में भी विकसित होगी टाउनशिप

देहरादून। यह संभावना सच साबित हुई कि कि गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जनभावनाओं के सम्मान में और कदम उठा सकते हैं। सीएम त्रिवेंद्र ने अचानक ही गैरसैंण को राज्य के तीसरे मंडल का मुख्यालय घोषित कर दिया। सीएम के इस ऐलान के साथ ही कुमाऊं और गढ़वाल की सीमाएं भी टूट गई हैं।

बजट सत्र की शुरुआत से पहले न्यूज वेट ने संभावना जताई थी कि सीएम त्रिवेंद्र गैरसैंण के बारे में कोई नया धमाका कर सकते हैं। यह संभावना उस वक्त सच साबित हुई जबकि बजट भाषण खत्म करते ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अचानक ही उत्तराखंड में तीसरे नए मंडल का ऐलान कर दिया और इसका मुख्यालय गैरसैंण में स्थापित करने की बात की। साथ ही यह भी कहा कि गैरसैंण में टाउनशिप विकसित की जाएगी और इसके लिए एक माह के अंदर ही टाउन प्लानर की नियुक्ति भी हो जाएगी।

सीएम ने इस ऐलान से एक तीर से कई कई निशाने साधे हैं। पहली बात तो यह है कि सीएम ने यह संदेश दिया है कि गैरसैंण को लेकर जनभावनाओं का वे कितना सम्मान कर रहे हैं। पहले ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाई और मंडल मुख्यालय का दर्जा दे दिया। सीएम त्रिवेंद्र ने यह भी संदेश दे दिया है कि मंडलायुक्त को गैरसैंण में ही रहना होगा। अब विपक्ष के पास गैरसैंण मुद्दे पर महज स्थायी राजधानी का ही विकल्प बचा है। देखना होगा कि आने वाले विस चुनाव में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस का इस पर क्या रुख रहता है।

माना जा रहा है कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह का गैरसैंंण को लेकर पिटारा अभी खाली नहीं हुआ है। इसी क्रम में उन्होंने आज गैरसैंण विकास के लिए 350 करोड़ रुपये का ऐलान भी किया है। सत्र में अभी पांच दिन और शेष है। ऐसे में वे कुछ और एलान भी कर सकते है। यह भी हो सकता है कि समर कैपिटल गैरसैंण में ही मंत्रिमंडल का विस्तार करके नए मंत्रियों को शपथ भी वहीं दिलवाई जाए।

गैरसैंण मंडल में सीएम ने गढ़वाल के चमोली और रुद्रप्रयाग तो कुमाऊं के अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों को शामिल किया है। ऐसा करके सीएम ने कुमाऊं और गढ़वाल के बीच की सीमाओं को भी खत्म करने की कोशिश की है। राज्य गठन के बाद से ही यह परंपरा चली आ रही है कि सत्तारूढ दल एक मंडल से सीएम बनाता है तो दूसरे मंडल से सियासी दल का प्रदेश अध्यक्ष। इसी तरह विपक्ष एक मंडल से नेता प्रतिपक्ष और दूसरे मंडल से पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष। इस तरह से दोनों मंडल अलग-अलग दिखते थे। अब तीसरे नए मंडल में पुराने मंडलों के दो-दो जिले शामिल करके सीएम ने इन सीमाओं को तोड़ने की कोशिश भी है।

अफसर बैठे तभी है मंडल का वजूद

सीएम ने नया मंडल को बना दिया है। लेकिन अब उनके सामने मंडलायुक्त और डीआईजी (पुलिस) के साथ मंडल स्तर के अन्य अफसरों को गैरसैंण में ही बैठाने की बड़ी चुनौती होगी। कहने को तो पौड़ी यूपी के समय से ही मंडल है। लेकिन राज्य गठन के बाद कमिश्नर या डीआईजी स्थायी रूप ने वहां कभी नहीं रहे। इन आला अफसरों ने अपने लिए अस्थायी राजधानी में भी किसी पद की जुगाड़ कर ली और कैंप आफिस के नाम पर देहरादून में ही जमे रहे। अब देखना होगा कि इस गैरसैंण मंडल के बारे में अफसरों का क्या रुख रहता है।

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