उत्तराखंड

अनामिका शर्मा प्रकरण में कई सवाल अभी भी अनसुलझे – गरिमा मेहरा दसौनी

 

अनामिका शर्मा प्रकरण में कई सवाल अभी भी अनसुलझे – गरिमा मेहरा दसौनी

हम जिस उत्तराखंड को देवभूमि कहते हैं, जहां की राजनीति कभी मूल्यों और सिद्धांतों की मिसाल मानी जाती थी, वहां आज हरिद्वार की जेल से निकले एक मोबाइल ने सत्ता, संगठन और समाज – तीनों को नंगा कर दिया है।ये कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का।

गरिमा ने कहा कि भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व जिलाध्यक्ष अनामिका शर्मा के खिलाफ दर्ज गंभीर प्रकरण में अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, वे केवल एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि सत्ता-संगठन गठजोड़, नैतिक पतन और अवसरवादी राजनीति का खुला दस्तावेज हैं।

जेल में बंद नेत्री के पास से बरामद मोबाइल फोन में बहुत कुछ दस्तावेज और राज दर्ज हैं, जो अब प्रदेश की राजनीति में कोहराम मचाए हुए है। अनामिका शर्मा का वह बयान कि” यदि मैंने मुंह खोला तो कई चेहरे बेनकाब हो जाएंगे उसने बहुत लोगों की रात की नींद उड़ा दी है।”

गरिमा ने कहा कि सवाल यह है कि कौन हैं वे लोग, जिन्होंने अनामिका शर्मा को मात्र 10 साल में संगठन के सबसे ऊंचे जिला पद तक पहुंचाया?

गरिमा ने कहा कि सवाल ये है कि क्या भाजपा में समर्पित, जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं की जगह संपर्कों और समीकरणों ने ले ली है?

संगठन के वे कार्यकर्ता, जिन्होंने अपनी जवानी, ऊर्जा और तन-मन-धन पार्टी को समर्पित कर दिया आज वे दरकिनार हैं।

और जिनकी वफादारी व्हाट्सऐप चैट्स और बंद कमरे की “सिफारिशों” तक सीमित है, उन्हें जिलाध्यक्ष बनाया जा रहा है।दसौनी ने कहा कि क्या यह वही पार्टी है जो खुद को “पार्टी विद द डिफरेंस” कहती थी?

क्या यह वही संगठन है जिसकी रीढ़ कभी उसके कार्यकर्ता हुआ करते थे?

आज वही कार्यकर्ता हाशिये पर हैं।,अनामिका शर्मा का मामला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।

गरिमा के अनुसार आज भाजपा संगठन के भीतर बेचैनी है, नेताओं की रातों की नींद उड़ी हुई है, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं वो चैट लीक न हो जाए, कहीं वो कॉल रिकॉर्डिंग वायरल न हो जाए।गरिमा ने कहा कि आखिर यह डर क्यों है?

क्यों एक अकेली महिला के मोबाइल से पूरी पार्टी असहज हो गई है?

दसौनी ने कहा कि हम ये मांग करते हैं कि

अनामिका शर्मा प्रकरण की हाईकोर्ट निगरानी वाली SIT जांच कराई जाए।

मोबाइल डाटा की फॉरेंसिक जांच हो और उसका निष्कर्ष सार्वजनिक किया जाए।

जिन नेताओं के नाम, चैट या कॉल्स से जुड़े प्रमाण सामने आएं, उन्हें सार्वजनिक किया जाए।

गरिमा ने कहा कि यह मामला अब केवल एक व्यक्ति का नहीं है।

यह सवाल है कि उत्तराखंड में राजनीति किन हाथों में जा रही है,कि स्वयं को देश की सबसे बड़ी पार्टी का दंभ भरने वाली भाजपा के मूल सिद्धांत कहां गुम हो गए हैं?

और ये कि सत्ता की कुर्सी पाने के लिए हम कितना गिर सकते हैं की एक मां अपनी नाबालिग बच्ची से देह व्यापार करवा रही है और भूखे भेड़ियों के सामने परोस रही है।गरिमा ने सरकार को चेताते हुए कहा कि

अगर इस मामले को दबाया गया, तो हम इस लड़ाई को सड़क से लेकर सदन तक लड़ेंगे और इस मामले की

सच्चाई सबके सामने लाएंगे और तब कोई भी व्हाट्सऐप चैट या कॉल रिकॉर्डिंग इस राजनीतिक सड़ांध को छिपा नहीं सकेगी।

 

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