युवा पुष्कर धामी की सियासी ‘गुगली’ पर दिग्गज हरीश रावत ‘बोल्ड’ !
उत्तराखंड में ‘हार लगभग स्वीकारी’, बोले “सुस्त और आलसी” हो गई है कांग्रेस
2022 के विस चुनाव में भी दिया था एक विवादित बयान
इस ताजा बयान से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में बढ़ी हताशा
देहरादून। कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत की सियायत का अंदाज ही जुदा है। कब क्या बोल दें कोई समझ नहीं सकता। फिर भाजपा उनके बयान को उड़ाकर ही चुनाव जीतने का माहौल बना लेती है। 2022 के विस चुनाव में मुस्लिम विवि के शगूफे से ही पीएम मोदी ने भाजपा के पक्ष में हवा बना दी थी। अब सीएम पुष्कर सिंह धामी की सियासी गुगली पर दिग्गज हरीश रावत बोल्ड हो गए हैं। माहौल की नजाकत को देख हरदा कह रहे हैं कि कांग्रेस अब सुस्त और आलसी हो गई है। हरीश के इस बयान से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की हताशा बढ़ना लाजिमी है।
एक तरफ कांग्रेस लोस चुनाव को लेकर आराम से बैठी रही तो सीएम धामी ने पूरे प्रदेश में शिलान्यास और लोकापर्ण की झड़ी दी लगा दी। दर्जनों रोड शो पूरे प्रदेश में किए। भाजपा ने प्रत्याशियों के एलान में भी बाजी मार ली। कांग्रेस के टिकट सामने आए तो साफ लगा कि जिताऊ दिग्गजों ने किनारा कर लिया। कांग्रेस ने किसी तरह से टिकट बांटे।
अब बात कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत की। उन्होंने हर सीट पर अपनी चलाने की कोशिश की। हरिद्वार सीट पर पहले खुद की दावेदारी की और बाद में अन्य सभी दमदार दावेदारों को पछाड़कर अपने बेटे वीरेंद्र के लिए टिकट ले आए। हरदा खांटी सियासतदां हैं लिहाजा चंद रोज में ही समझ गए कि मोदी और धामी का मुकाबला करना आसान नहीं है। एक तरह से उन्होंने पूरे उत्तराखंड में कांग्रेस की हार मान सी ली है। वे कह रहे हैं कि कांग्रेस सुस्त और आलसी हो गई है। साथ आए गठबंधन के लोग उन्हें जगा रहे हैं। कह रहे हैं कि उठो, जागो, लड़ो और जीतो। कांग्रेस के पास जीत का नहीं है। जबकि भाजपा सत्ता में रहते हुए भी हर तरीके लड़ रही है।
साफ लग रहा है कि हरदा ने कांग्रेस की पांचों सीटों पर हार एक तरह से कबूल कर ली है। हरदा के इस बयान के कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ताओं में हताशा और बढ़ना स्वभाविक है। कम से कम गढ़वाल सीट पर कांग्रेस ने मुकाबला दिलचस्प बना रखा है। अब हरदा का यह बयान क्या गुल खिलाता है, यह आने वाले समय में ही सामने आएगा। यहां बता दें कि इससे पहले 2022 के विस चुनाव में कथित तौर पर हरीश रावत के मुस्लिम विवि के एक बयान ने पूरे चुनाव की फिजा ही बदल दी थी। खुद पीएम मोदी ने इसे मुद्दा बना दिया था। नतीजा यह रहा की सत्ता में आती दिख रही कांग्रेस 18 सीटों पर पर ही सिमट गई थी।