आखिर किस समाज के किस तबके के लिए प्रशासन लगा रहा पूरी ताकत
गरीब वर्ग को होम डिलेवरी से नहीं होना है कोई लाभ
मोदी किचन समेत अन्य संस्थाएं भी बांट रही भोजन
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। जिला प्रशासन ने होटलों से खाने की होम डिलेवरी को मंजूरी दी है। अब दिल्ली में डिलवेरी ब्याय से कोरोना संक्रमण फैलने की जानकारी के बाद भी इसे बंद तो नहीं किया। अलबत्ता नए अंदाज में इसे चालू रखने का फैसला लिया है। सवाल यह है कि आखिर प्रशासन खाने की होम डिलेवरी पर इतना जोर क्यों दे रहा है और इससे समाज के किस वर्ग को सहूलियत देने की कोशिश की जा रही है।
लाकडाउन के दौरान ही जिला प्रशासन ने देहरादून में खाने को होटलों को खोलने और खाने की होम डिलेवरी को अनुमति विगत 27 मार्च को दी है। इस पर पहले रोज से ही सवाल उठ रहे हैं। दिल्ली में डिलेवरी ब्याय की वजह से तमाम लोगों पर कोरोना संक्रमण का खतरा मंडराया तो लगा कि जिला प्रशासन इस फैसले को निरस्त कर देगा। लेकिन प्रशासन ने रोक लगाने की जगह सरकारी सिस्टम का काम बढ़ा दिया। तय किया गया कि डिलेवरी करने वालों की लगातार स्क्रीनिंग की जाएगी और इसकी सूचना प्रशासन को दी जाएगी। साथ ही खाद्य विभाग के अफसर डिलेवरी करने वाली कंपनियों के प्रबंधन के साथ इसकी समीक्षा करेगी।
अब सवाल यह उठ रहा है कि संपूर्ण लाकडाउन के इस दौर में प्रशासन खाने की होम डिलेवरी पर इतना क्यों जोर दे रहा है। इस समय मोदी किचन के माध्यम से तमाम जरूरतमंदों तक पका भोजन पहुंचाया जा रहा है। इसके अलावा तमाम अन्य समाजसेवी और संस्थाएं भी लोगों तक खाना पहुंचा रही हैं। एक बात और भी है। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि होटल से खाना मंगाना गरीब तबके के बस की बात नहीं है। तो फिर किन लोगों के लिए होटल खुलवाए गए हैं और होम डिलेवरी कराई जा रही है। एक तरफ आम आदमी सड़क पर निकल नहीं सकता तो दूसरी ओर डिलेवरी ब्याय के वाहन सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। सब काम बंद हैं पर होटलों में कारीगरों से काम करवाया जा रहा है। यहां सुरक्षा मानकों और सोशल डिस्टेंटिंग का कितना पालन हो रहा होगा, यह देखने वाला कोई नहीं है। सवाल यह भी है कि क्या इन होटलों में काम शुरू करने से पहले कारीगरों को 14 दिन क्वरांटाइन नियम का पालन करवाया गया है।