ग्रीष्मकालीन राजधानी पर पहल को मुकाम तक न पहुंचा पाने का हरीश को है ‘मलाल’
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। गैरसैंण में राजधानी के मसले पर कोई फैसला न लेने पर कांग्रेस के दिग्गज नेता अब पछता रहे हैं। तीन साल से सत्ता पर काबिज भाजपा ने भी अब तक कुछ नहीं किया है। अब भाजपा की ओर से गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी की बात हो रही है। ऐसा लग रहा है कि भाजपा इस मुद्दे पर कुछ करने वाली है। शायद भाजपा की मंशा कांग्रेस की तरह पछताने की नहीं हैं।
गैरसैंण में राजधानी मामले में सियासी दल अब तक तो जनभावनाओं से खिलवाड़ ही करते रहे हैं। विपक्ष में रहते ये गैरसैंण का राग अलापते हैं और सत्ता में आते ही मसले पर कोई फैसला नहीं लेते हैं। 2012 में कांग्रेस सत्ता में आई तो गैरसैँण में अवस्थापना काम शुरू कराए गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने वहां कैबिनेट बैठक करके अपने इरादे जाहिर किए। विधानसभा समेत अन्य भवन बनाने का काम तेज किया गया। इसी बीच बहुगुणा को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। नए सीएम हरीश रावत ने भी गैरसैंण पर काम किया। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने विस में दिए अपने संबोधन में गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी की सरकार की मंशा का खुलासा भी किया। लेकिन हरीश रावत अंत तक कोई फैसला नहीं कर सके। अब कांग्रेस विपक्ष में हैं तो फिर गैरसैंण की बात हो रही है। पिछले दिनों हरीश रावत ने अपनी एक पोस्ट में लिखा कि काश मैंने गैरसैंण में राजधानी जैसा तुगलकी कदम उठा लिया होगा। जाहिर है कि कांग्रेस को अब पछतावा हो रहा है।
कांग्रेस के सत्ता में रहते रोजाना गैरसैंण में राजधानी की बात करने वाली भाजपा पिछले तीन साल से सत्ता में है। लेकिन जनभावनाओं से जुड़े इस मुद्दे पर कुछ नहीं किया। अब चुनाव की तैयारी में जुट चुकी भाजपा को फिर से गैरसैंण याद आ रहा है। इस बार का बजट सत्र गैरसैंण में ही कराया जा रहा है। इतना ही नहीं, भाजपा के दो विधायक गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने पर की बात कर रहे हैं। इनका यह भी दावा है कि सरकार भी इस पर सहमति दे चुकी है। अहम बात यह भी है कि भाजपा के चुनावी संकल्प पत्र में भी ग्रीष्मकालीन राजधानी का वायदा किया गया है।
ऐसा लग रहा है कि भाजपा इस मुद्दे पर जल्द ही कोई फैसला ले सकती है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो भाजपा को भी उसी तरह से पछताना पड़ सकता है, जैसे कि इस समय हरीश रावत पछतावा कर रहे हैं।