बीस गांव के पचास हजार लोगों ने किया अंशन शुरु, जानिए क्यों?
बाजपुर। बीस गांव के पचास हजार लोगों की 5838 एकड़ भूमि के छिने मालिकाना भूमिधरी अधिकारों की सकुशल वापसी की मांग को लेकर पीड़ितों ने क्रमिक अंशन शुरु कर दिया है। प्रथम दिन, सरदार करम सिंह पड्डा, जगतार सिंह बाजवा, रजनीत सिंह सोनू, निरंजन दास गोयल तथा बल्ली सिंह चीमा अनशन पर बैठे। आन्दोलन से जुड़े सैंकड़ों लोगों की उपस्थित और जोरदार हुंकारों के बीच, अपने हक के लिये जान पर खेल जाने की बुलंद आवाजों और युवाओं की प्रभावी मौजूदगी से आन्दोलन का वातावरण बेहद उत्साहित बना नजर आ रहा है।
पिछले पांच दशको से भी अधिक समय से अपनी जमीनो पर भूमिधरी मालिकाना हक लिये बीस गांव के पचास हजार लोगों की 5838 एकड़ भूमि पर पड़ी उत्तराखण्ड सरकार की तिरछी नजरों ने पूरे क्षेत्र के अमन चैन को बदहवासी में बदल दिया है। पिछले 44 दिनों से शान्तिपूर्ण तरीके से धरना /सत्याग्रह कर रहे प्रभावित और पीड़ित लोगों आज उत्तराखंड सरकार की मनमानी और उपेक्षाओं से खिन्न होकर अपने 20 गांव के हजारों लोगों की 5848 एकड़ भूमि के छीन लिए गए भूमिधरी अधिकारों की वापसी के लिए क्रमिक अंशन शुरू कर दिया है। शन्तिपूर्ण तरीके से आन्दोलन कर रहे प्रभावितों ने अपने आन्दोलन का गियर बदलते हुए प्रदेश की धामी सरकार पर जम कर आक्रोश व्यक्त किया। लोग हैरान हो रहे थे कि जो किसान पूरे समाज का पेट भरने के लिये अन्न उगाता है आज वही किसान, भूखा बैठकर सरकार का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है।
इस अवसर पर क्रमिक अंशन पर सबसे पहली पंक्ति में बैठे भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष और बुजुर्ग किसान नेता कर्म सिंह पडडा ने कहा कि आज का दिन प्रदेश सरकार के लिये शर्मनाक अध्याय बन गया है। उन्हांेने कहा कि भाजपा सरकार के तीन तीन मुख्यमंत्रियों ने उन्हें जुबान देते हुए किसानो को उन की भूमि के छीन लिये गये मालिकाना हकों को वापिस करने का वायदा किया, एक मुख्यमंत्री ने तो यहां तक कह दिया था कि लडडू बांट दो पर उन आश्वासनो का आगे चल कर कुछ भी नही बना और किसान पीड़ित का पीड़ित बना रहा। उन्होंने कहा कि सत्य के इस संघर्ष में अब बिना अपने अधिकारों को वापिस लिये कोई समझोता नही किया जायेगा।
इस अवसर पर आन्दोलन के संयोजक जगतार सिंह बाजवा ने अपने सम्बोधन में कहा कि किसान को हक देकर फिर से छीन लेना किसी भी प्रजातांत्रितक सरकार को शोभा नही देता है। उन्होंने कहा कि बीस गांव की 5838 एकड़ भूमि पर काबिज पचास हजार लोगों के साथ यह घोर अन्याय किया जा रहा है और अन्याय की इस जंग में हर संघर्ष का सामना किया जायेगा। भूख हड़ताल पर बैठे जन कवि और संयुक्त किसान मोर्चे के बड़े नेता भाई बल्ली सिंह चीमा ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अन्याय की पराकाष्ठा कर दी है। उन्होंने कहा कि चंद अधिकारियों की लापरवाही और गलती को सुधारने की बजाये हजारों लोगों को बदहवासी का जख्म देना सरकार के लिये शर्मनाक है।
उन्होंने कहा कि हास्यास्पद है कि दूसरों को अन्न खिलाने वाला किसान आज खुद भूखा रह कर अपनी आवाज उठा रहा है। इस अवसर पर युवा किसान नेता और सत्याग्रह संयोजक रजनीत सिंह सोनू ने कहा कि आरपार की लड़ाई शुरु हो गयी है। उन्होंने कहा वर्ष 1950 से तत्कालीन सरकारों द्वारा लागू किए गए जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, गेटा एक्ट, सीलिंग एक्ट सहित तमाम कानूनी मार्गों से निकल कर 20 गांव के पचास हजार भारतीय नागरिकों को, शासन द्वारा नियमानुसार प्रदत्त, भूमिधरी अधिकारों को लगभग पांच दशक बाद सरकारी करिंदों ने छीन कर फिर से लीज होल्डर बना दिया। उन्हांेने सवाल किया कि यह कैसी भूमि व्यवस्था है ? उन्होंने कहा कि सरकार के जुल्मो को अब किसी भी सूरत में और बरदास्त नही किया जायेगा। उन्होंने साफ साफ कहा कि यदि जल्द ही समाधान नही दिया गया तो यह आन्दोलन अमरण अंशन में बदल दिया जायेगा। भूख हड़ताल में व्यापारी वर्ग का प्रतिनिधित्व कर रहे निरंजन दास गोयल भी अपनी बिमारी के बावजूद संघर्ष की इस जंग में कूद गये हैं। अंशन के प्रारम्भ में चिकित्सकों द्वारा दर्ज किये गये 190/100 ब्लड प्रेशर के बावजूद बाबू निरंजनदास गोयल भाजपा बैकग्राउंड के बावजूद किसान हितों के लिये आगे आये हैं। उन्हांेने अपने सम्बोधन में कहा कि उन्हें बहुत उम्मीद है कि मुख्यमंत्री धामी अपने जन्मदिन पर बाजपुर को समाधान का तोहफा देंगे। उन्होंने चेताया भी कि यदि समाधान नही मिला तो बाजपुर की जनता सरकार के विरोध में हर संघर्ष को अपनायेगी।
इससे पूर्व क्रमिक अंशन पर सुबह आठ बजे जैसे ही सरदार करम सिंह पड्डा, जगतार सिंह बाजवा, रजनीत सिंह सोनू, निरंजन दास गोयल तथा बल्ली सिंह चीमा अनशन पर बैठे, उन्हें उपस्थित सैंकड़ो लोगों ने फूल मालाओ से लाद दिया। सभी ने आन्दोलनकारियों का उत्साहवर्धन करते हुए उन के संघर्ष में पूरा साथ और सहयोग देने का आश्वासन दिया।
इस अवसर पर इस अवसर पर अशोक गोयल, कुलबीर सिंह, श्याम गोयल, अजीत प्रताप सिंह रंधावा, दर्शन लाल गोयल, सतनाम सिंह रंधावा, बिजेंदर डोगरा, मनोज गुप्ता, राजेंदर बेदी, राजू सिंघल, संजय सूद, करण शर्मा, प्रभसरण सिंह, बलदेव सिंह, अमरनाथ शर्मा, पाल सिंह, बाबू सिंह चैहान, हरदीप सिंह, रूड सिंह, जीत सिंह, गुरदीप सिंह, तरसेम सिंह, सनी खैर, गुरविंदर सिद्धू, जसमीत भुल्लर, सतपाल पन्नू, गुरु प्रताप सिंह काका, मोनी भुल्लर, चंद्रसेन, जसवीर सिंह भुल्लर, हरपाल सिंह खैरा, हरदेव सिंह, जसवंत सिंह, मलूक सिंह, जगराज सिंह, सुनील पाठक, सुखविंदर सिंह, मनोज गोयल, पंकज गुप्ता, प्रताप सिंह संधू, रविन्द्र सिंह, सुक्खा, संजय सूद, तरुण मित्तल, विकास गोयल, लखविंदर सिंह, सुखविंदर सिंह, हरदेव सिंह ,रणजीत सिंह, गुरविंदर सिंह, जयदीप सिंह, रविंद्र सिंह, मलूक सिंह, जसवंत सिंह, हरदेव सिंह, दारा दिलेर रंधावा, गुरु प्रताप सिंह, जसवीर सिंह भुल्लर, राकेश चैहान, अमर सिंह, खेम सिंह राणा, डब्बू भाई, गुरबख्श सिंह, दलजीत सिंह, रोहित बंसल, अभिषेक चैधरी, भगवंत बाजवा, सुरजीत सिंह, रतन सिंह, अंग्रेज सिंह, सुब्बा सिंह, गुरमेल सिंह, जसवंत सिंह, लक्खा सिंह, गुरप्रीत सिंह, बाज सिंह ,जीवन सिंह, अवतार सिंह, गगन सिंह, नवजोत सिंह, प्रभजोत सिंह, अनमोल सिंह, महेन्दर सिंह, सुरजीत सिंह, सुखविंदर सिंह, शेरा सिंह, कश्मीर सिंह कुलदीप सिंह, दिलबाग सिंह, गुरचारण सिंह, अदि किसान, मजदूर तथा व्यापारीगण मौजूद रहे। फोटो-13बीजेडपी01-बाजपुर में छिने भूमिधरी मालिकाना हक वापिस दिलाये जाने की मांग को लेकर क्रमिक अंशन शुरु करते आन्दोलनकारी।