उत्तराखंड

कुछ समाचार पत्रों व सोशल मीडिया में अपने माध्यम से दिए इस समाचार पर गंभीर आपत्ति प्रकट की

श्री बद्रीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी से हरिद्वार निवासी राकेश कौशिक द्वारा कुछ समाचार पत्रों व सोशल मीडिया में अपने माध्यम से दिए इस समाचार पर गंभीर आपत्ति प्रकट की है।

श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा वर्ष 1999 में श्री महालक्ष्मी मंदिर को 35000/- रुपए प्रति वर्ष किराए पर दे दिया है व सरकार की अनुमति नहीं ली है। पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी का कहना है कि कौशिक का अपने द्वारा उच्च न्यायालय उत्तराखंड में प्रस्तुत जनहित याचिका में दिए गए तथ्यों के विपरीत समाचार पत्रों का सोशल मीडिया में वक्तव्य सनसनी फैलाने वाला है।

डिमरी का कहना है कि कौशिक को इस तथ्य की जानकारी भली-भांति होते हुए भी कि श्री बद्रीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मध्य उच्च न्यायालय इलाहाबाद व जिला न्यायालय में कई वर्षों से वार्ड लंबित थे।

फलस्वरुप वर्ष 1951 में श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा सरकार के कुछ निम्न की जानकारी डिमरी पंचायत को दी गई थी..

  1. श्री लक्ष्मी मंदिर बद्रीनाथ मंदिर समिति के अधीन रहेगा, लेकिन मंदिर की भेंट चढ़ने पर संपूर्ण अधिकार डुमरी पंचायत का रहेगा।
  2. श्री लक्ष्मी जी का अटका भोग का अधिकार डिमरी पंचायत का रहेगा लेकिन इस भोग को लिखने हेतु दबाव नहीं डाला जाएगा।
  3. मंदिर परिक्रमा पर चार्लामिरेट्स देने पर भेंट लेने का अधिकार डिग्री पंचायत का रहेगा।

उच्च न्यायालय के निर्देशन पर इसी प्रकार वर्ष 1972 में श्री लक्ष्मी मंदिर सहित सभी मंदिरों की भेंट ₹1100 प्रति वर्ष माता मूर्ति उत्सव के दिन मंदिर समिति को देने का आदेश हुआ । वर्ष 1999 में जब विनोद नौटियाल श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष थे तो लक्ष्मी मंदिर को लेकर बहुत विवाद चल रहा था डुमरी पंचायत में स्पष्ट ऐलान कर दिया था, कि कपाट खुलने पर अपने हक्क को लेकर पंचायत संघर्ष के लिए किसी भी सीमा तक जाएगी कपाट खोलने की तिथि पर राज्यपाल को विज्ञापन देने का निर्णय था।

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