उत्तराखंड

प्राइवेट व्यक्ति को भी है अपराधी के एंकाउन्टर का अधिकार

प्राइवेट व्यक्ति को भी है अपराधी के एंकाउन्टर का अधिकार

बी.एन.एस.की धारा 38 व 41 के अन्तर्गत है विभिन्न मामलों में अधिकार

45 कानूनी जागरूकता पुस्तकों के लेखक सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने शरीर व सम्पत्ति सम्बन्धी अपराध पुस्तक, नये अपराधिक कानून अपडेट सहित जारी की

काशीपुर। कानून यह मानकर चलता हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने व अन्य व्यक्तियों की सुरक्षा का अधिकार हैं। यह सम्भव नहीं हैं कि प्रत्येक व्यक्ति की सुरक्षा के लिये हर समय पुलिस बल उसकी रखवाली करें। ऐसी अवस्था में निपटने के लिये ही कानून द्वारा शरीर व सम्पत्ति के विरूद्ध कुछ अपराधों से अपना बचाव करने के लिये प्रत्येक व्यक्ति को अपराधी के एन्काउन्टर (मृत्यु) सहित व्यक्तिगत प्रतिरक्षा के अधिकार दिये गये हैं। महिलाओं के विरूद्ध गंभीर अपराधों, पागल, नशेड़ियों द्वारा किये जाने वाले अपराधों में इसका महत्व और भी अधिक है।

उक्त उदगार शरीर व सम्पत्ति सम्बन्धी अपराध, बी.एन.एस. का परिचय, भ्रष्टाचार नियंत्रण, मानवाधिकार संरक्षण सहित 45 कानूनी जागरूकता पुस्तकों के लेखक व सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने शरीर व सम्पत्ति सम्बन्धी अपराध, नये अपराधिक कानून अपडेट सहित आम जनता के लिये जारी करते हुये व्यक्त किये।

नदीम ने बताया कि प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार पूर्व में लागू भारतीय दण्ड संहिता की धारा 96 से 106 तक दिये गये थे अब बी.एन.एस. में इन्हें धारा 34 से 44 तक शामिल किया गया हैं। इन अधिकारों की जानकारी उनके द्वारा लिखित पुस्तकांे ’’शरीर व सम्पत्ति सम्बन्धी अपराध’’, ’’बी.एन.एस. का परिचय’’ में दी गयी है।

बी.एन.एस. की धारा 38 तथा 41 के अन्तर्गत प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार अपराधी की मौके पर एन्काउन्टर (मृत्यु) करने तक है। लेकिन न तो यह सजा देने का अधिकार हैं और न ही बदला लेने का अधिकार है। यह अधिकार केवल उतनी ही हानि करने तक है जितना उन परिस्थितियों में अपराध से बचाव के लिये आवश्यक है।

धारा 37 के अनुसार यह अधिकार लोक सेवकों (सरकारी अधिकारी आदि) या उनके आदेशों पर किये जाने वाले ड्यूटी के कार्योंे पर नहीं मिलता लेकिन अगर उनके द्वारा किये गये कार्य से मृत्यु या गंभीर चोट की आशंका होती है तो उनके विरूद्ध भी यह अधिकार मिलता हैं। इसके अतिरिक्त जब सरकारी अधिकारियों की सहायता प्राप्त करने का समय है तो भी यह अधिकार नहीं मिलता।

धारा 38 व 41 में उन अपराधों का विवरण हैं जिनके बचाव में आवश्यक होने तक एन्काउन्टर (मृत्यु) करने तक का अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को कानून से प्राप्त हैं। धारा 38 के अनुसार शरीर सम्बन्धी अपराधों में मृत्यु, गंभीर चोट, बलात्कार, अपहरण, बन्दी बनाने के लिये हमला तथा तेजाब फेंककर गंभीर चोट पहुंचाने के मामले में प्राप्त होता है जबकि धारा 41 में सम्पत्ति सम्बन्धी अपराधों में लूट, रात में घर में दरवाजा आदि तोड़कर घुसने, घर में आग या विस्फोट द्वारा नुकसान, मृत्यु या गंभीर चोट की आशंका वाली चोरी, नुकसान या घर में अवैध प्रवेश के मामलों में सभी व्यक्तियों को आवश्यक होने पर अपराधी की मौके पर ही मृत्यु (एन्काउन्टर) तक का नुकसान पहुंचाने तक का अधिकार हैं।

नदीम द्वारा लिखित शरीर व सम्पत्ति सम्बन्धी अपराध पुस्तक का प्रथम संस्करण 2006 में प्रकाशित हुआ है। इसमें भारतीय दण्ड संहिता की तथा दण्ड प्रक्रिया संहिता की धाराओं का उल्लेख हैं।

नदीम की एल.एल.बी. की काॅलेज टाॅपर रही पुत्री नीलिमा नदीम एडवोकेट ने इसके नये अपराधिक कानून अपडेट को लिखा हैं। इसमें पुस्तक में उल्लेखित धाराओं से सम्बन्धित नये अपराधिक कानूनों बी.एन.एस. तथा बी.एन.एस.एस. की धाराओं का तुलनात्मक विवरण है।

शरीर व सम्पत्ति सम्बन्धी अपराध पुस्तक के अध्यायों में अवैध मानव वध(कत्ल), चोट, बन्दी तथ हमला, अपहरण, यौन अपराध, धमकी व अपमान, सम्पत्ति को छीनने सम्बन्धी अपराध, सम्पत्ति को नुकसान सम्बन्धी अपराध, सम्पत्ति अधिकारांें सम्बन्धी अपराध, जब अपराध नहीं होता, हथियारों सम्बन्धी अपराध, अनुसूचित जाति व जनजाति के विरूद्ध अपराध तथा नशीले पदार्थों सम्बन्धी अपराध शामिल हंै।

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