ब्यूरोक्रेसी

तो क्या ‘आका’ को खुश करने को प्रिसिंपल ने सुनाया गैरकानूनी ‘फरमान’

डॉ. सयाना तक भी आएगी जांच की आंच !

अब आईएएस के पक्ष में भी शुरू हुई ‘लामबंदी’

डॉ. निधि के व्यवहार पर उठाए जा रहे ‘सवाल’

देहरादून। आईएएस अफसर पंकज पांडेय और डॉ. निधि उनियाल का मामला शांत होता नहीं दिख रहा है। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या इस मामले में जांच की आंच दून मेडिकल कालेज के प्रिसिंपल पर भी पहुंचेगी और उनसे पूछा जाएगा कि अपने अधीनस्थ को एक गैरकानूनी काम करने के लिए फरमान क्यों सुनाया। अहम बात भी है कि अब कुछ लोग आईएएस पंकज पांडेय के पक्ष में लामबंद हो रहे हैं और डॉ. निधि के व्यवहार पर ही सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

इस मामले में सबसे अहम सवाल दून मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. आशुतोष सयाना की भूमिका को लेकर भी है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या अपने आका (विभागीय सचिव) को खुश करने के इरादे से ही सयाना ने अपनी अधीनस्थ डॉ. निधि को गैरकानूनी फरमान सुनाया। प्रोटकॉल के अनुसार राज्य सरकार के स्तर पर केवल राज्यपाल और मुख्यमंत्री का चेकअप करने के लिए सरकारी डॉक्टर उनके पास जाएगा। दोनों के लिए बकायदा मेडिकल अफसर की तैनाती भी होती है।

ऐसे में प्रिसिंपल सयाना ने विभागीय सचिव की पत्नी की जांच के लिए एक एसोशिएट प्रोफेसर को उनके घर जाने का फरमान कैसे सुना दिया। क्या डॉ. सयाना को यह पता नहीं था कि ऐसा करना नियम विरुद्ध है। यह अपराध उस वक्त और बड़ा हो जाता है, जबकि डॉ. ओपीडी में आम मरीजों का परीक्षण कर रही हो। लेकिन सयाना ने न केवल ऐसा किया, बल्कि अपने आका को खुश करने के लिए डॉ. निधि पर बगैर गल्ती के ही माफी मांगने का दवाब भी बनाया।

दूसरी ओर यह मामला अभी शांत होता नहीं दिख रहा है। सोशल मीडिया में एक ओर जहां आईएएस अफसर पंकज पांडेय पर हमला किया जा रहा है तो अफसर के पक्ष में भी कुछ खास किस्म के लोग लामबंद हो रहे हैं। इतना ही अफसर के पक्ष में लामबंदी करने वाले तो डॉ. निधि के व्यवहार पर ही हमला बोल रहे हैं। इस लामबंदी के जरिए आईएएस पंकज पांडेय को पाक-साफ बताने की कोशिश की जा रही है।

बहरहाल, सरकार के स्तर से इस मामले की जांच का आदेश दिया जा चुका है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जांच कब तक पूरी होती है और क्या जांच की आंच आका की जी-हुजूरी करने वाले प्रिसिंपल तक भी आती है या फिर लीपापोती करके मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।

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