एफएमजीई पास किए बगैर ही कर रहे डॉक्टरी

सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे विदेश से पढ़ने वाले डॉक्टर
प्रेक्टिस के लिए इस एक्जाम को क्लियर करना अनिवार्य
उत्तराखंड में सरकारी चिकित्सकों के 39 फीसदी पद खाली
आरटीआई से मिली जानकारी से हुआ है इसका खुलासा
देहरादून। विदेश से डॉक्टरी की पढ़ाई करने वालों के लिए एफएमजीई पास करना जरूरी है। लेकिन उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में 42 चिकित्सक इस परीक्षा को पास किए बगैर ही नौकरी कर रहे हैं। आरटीआई के तहत मिली सूचना से यह भी पता चला है कि कोरोना काल में ही सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के 39 फीसदी पर रिक्त चल रहे हैं
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशालय कई बिंदुओं पर सूचना मांगी थी। नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड में चिकित्सा अधिकारियों के कुल 2735 स्वीकृत पद हैं। इनमें से 1072 पद रिक्त है। 116 चिकित्सा अधिकारी लंबे समय से गैर हाजिर हैं और चार चिकित्सा अधिकारी नगर निगमों में नगर स्वास्थ्य अधिकारी व अन्य पदों पर भी प्रदेश में कार्यरत हैं।
उपलब्ध सूचना से एक चौंकाने वाली जानकारी भी सामने आई है। उत्तराखंड में कार्यरत 69 चिकित्सा अधिकारी ऐेसे हैं, जिन्होंने विदेश से एमबीबीएस किया है। इनमें से 42 डॉक्टरों की विदेशी मेडिकल शिक्षा की गुणवता और ऐसे डिग्री धारकों की योग्यता जांचने के लिए अनिवार्य स्क्रीनिंग टेस्ट एफएमजीई (फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एक्जाम) पास नहीं किया है। एफएमजीई पास किए बिना उत्तराखंड की सरकारी सेवा में शामिल चिकित्सा अधिकारी उत्तराखंड के 12 जिलों के अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों और कार्यालयों में सेवाएं दे रहे हैं। इनमें से पांच अल्मोड़ा, दो बागेश्वर, एक चमोली, दो चम्पावत, आठ देहरादून, तीन हरिद्वार, तीन नैनीताल, तीन पिथौरागढ़, आठ पौड़ी, दो टिहरी, दो ऊधमसिंह नगर और दो उत्तरकाशी जिलो में कार्यरत हैं। एक की तैनाती का स्थान सूचना में अंकित नहीं किया गया है।