जीत के बाद देवभूमि झांके भी नहीं राजबब्बर
उत्तराखंड से भेजे गए थे रास, नवंबर में खत्म होगा कार्यकाल
इस देवभूमि के लिए कुछ नहीं किया नेताजी ने
बाहरी लोगों को थोपने की व्यवस्था पर सवाल
देहरादून। फिल्म अभिनेता से राजनेता बने राजबब्बर को कांग्रेस ने उत्तराखंड कोटे से राज्यसभा भेज दिया। लेकिन नेताजी ने पलटकर इस देवभूमि की तरफ झांका भी नहीं। ऐसे में राज्यहित के किसी काम की बात करना ही बेमानी है। अब चार माह बाद उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या सियासी दल बाहरी नेताओं को उत्तराखंड पर थोपने की परंपरा को खत्म कर पाएंगे।
2015 में राज्यसभा की एक रिक्त सीट के लिए अचानक राजबब्बर का नाम सामने आय़ा और कांग्रेस ने उन्हें भेज भी दिया। उसके बाद से ही राजबब्बर उत्तराखंड से गायब हो गए। कांग्रेस ने पहले उन्हें यूपी प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया। तो उनके पास उत्तराखंड के लिए वक्त ही नहीं था। वहां से कार्यमुक्त होने के बाद लगा कि वे उत्तराखंड का रुख करेंगे। लेकिन उन्होंने पलट कर इस देवभूमि की तरफ देखा भी नहीं। राज्यसभा में भी उन्होंने उत्तराखंड के हित में एक भी आवाज नहीं उठाई।
उनका कार्यकाल आने वाले नवंबर माह में खत्म हो रहा है। अब यह सीट इस बार भाजपा के खाते में जाएगी। कांग्रेस की तरह से भाजपा इससे पहले बाहरी नेता को उत्तराखंड कोटे से राज्यसभा भेज चुकी है। ऐसे में अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या भाजपा भी इसी तरह से किसी बाहरी को थोप देगी। या फिर उत्तराखंड के किसी ऐसे नेता को तरजीह देगी, जो राज्यहित में कुछ काम करे।
सोचना चाहिए सियासी दलों कोः धस्माना
इस मामले में प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बड़ी बेबाकी से अपनी बात रखी। धस्माना ने कहा कि सभी सियासी दलों को इस पर मंथन करना चाहिए। इस तरह किसी सेलेब्रेटी को उत्तराखंड पर थोपना ठीक नहीं है। स्थानीय नेताओं को ही राज्यसभा में भेजा जाना चाहिए। ताकि वे राज्य के विकास में अपना योगदान दे सकें।