शहरी विकास को क्यों भूल रहे ‘कर्णधार’

शहरीकरण को मेनिफेस्टो में स्थान दें सियासी दल
एसडीसी फाउंडेशन ने बुलंद की आवाज
हिमाचल से 200 फीसदी ज्यादा है आबादी
देहरादून। उत्तराखंड देश के उन राज्यों में शामिल है जहां तीव्र गति से शहरीकरण हो रहा है। इसके बावजूद राज्य में शहरी बुनियादी सुविधाओं का विकास उस रफ्तार से नहीं हो पा रहा है। उत्तराखंड की पर्वतीय परिस्थिति और निरंतर जारी पलायन प्रदेश मे शहरीकरण के मुद्दे को जटिल और चुनौतीपूर्ण बनाता है।
एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने कहा की अब जबकि कुछ महीने बाद ही राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में जरूरी है कि हम तमाम राजनीतिक दलों को इसके लिए तैयार करें कि वे अपने मेनिफेस्टो में शहरी विकास के मुद्दों को एक समग्र तौर पर शामिल करें। इस प्रयास के तहत एसडीसी फाउंडेशन “उत्तराखंड अर्बन एजेंडा 2022” शुरू करने जा रहा है। इस अभियान के तहत शहरी मुद्दों पर राजनीतिक दलों को जानकारी और सुझाव देने का प्रयास किया जाएगा।
नौटियाल ने कहा कि देश के कई प्रगतिशील शहर अब अर्बन रेजिलियंस प्लान, सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल, वेस्ट मैनेजमेंट, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और सिटी क्लाइमेट चेंज जैसे गंभीर मुद्दों पर फोकस करने में जुट गये हैं। लेकिन हम उत्तराखंड मे शहरीकरण को मुख्यतः सड़क, नाली और स्ट्रीट लाइट से आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं। उनका कहना है कि यदि राजनीतिक दल और जन प्रतिनिधि सस्टेनेबल डेवलमेंट गोल को लेकर आगे बढ़ें तो शहरी विकास कार्यों को नई दिशा और नया विस्तार मिलेगा और सड़क, नाली जैसे मुद्दे इन गोल्स में खुद निहित हो जाएंगे।
नौटियाल के अनुसार सतत शहरी विकास न हो पाना उत्तराखंड की एक ज्वलंत समस्या है। उन्होंने कहा की प्रदेश के राजनीतिक दलों को देखना होगा की उत्तराखंड में किस तेजी के साथ शहरीकरण हो रहा है और इसके लिए किस तीव्रता से समग्र अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर की ज़रुरत है । इन्हीं कारणों से सतत शहरी विकास किसी भी राजनीतिक दल के एजेंडा का प्रमुख हिस्सा नहीं हैI
अनूप ने बताया कि आने वाले दिनों में एसडीसी फाउंडेशन अलग-अलग शहरी मुद्दों को लेकर फैक्टशीट जारी करेगा। केन्द्र और राज्य सरकार के आंकड़ों पर आधारित ये फैक्टशीट पूरी तरह से तथ्यात्मक होंगी। इन फैक्टशीट का जारी करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि विधानसभा चुनाव में उतरने वाले राजनीतिक दल और उम्मीदवार इनका विश्लेषण करके इन मुद्दों को अपने घोषणा पत्र में जगह दें और यह भी स्पष्ट करें कि यदि वे सरकार में आये तो इन मसलों पर उनकी क्या रणनीति होगी।
उन्होंने कहा की 2011 की जनगणना के आधार पर उत्तराखंड में हिमाचल प्रदेश की तुलना में 200 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश की तुलना में 37 प्रतिशत से ज्यादा शहरी आबादी है। इसका सीधा अर्थ यह है कि हमारे सामने अर्बन इंफ्रॉस्ट्रक्चर को बढ़ती शहरी आबादी की जरूरत के अनुसार विकसित करने की बड़ी चुनौती है। आने वाले समय में दिल्ली देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर, चार धाम परियोजना और तमाम अन्य केंद्रीय प्रोजेक्ट्स से उत्तराखंड में शहरी दबाव निश्चित तौर पर बढ़ेगा । इन सब चुनौतियों के लिए प्रदेश के शहरों को तैयार करने के लिए राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों को अर्बन मैनिफेस्टो और शहरीकरण की घोषणाओं को तथ्यों और आउटकम ओरिएंटेड आधार पर तैयार करना होगा।