तो त्रिवेंद्र तो था टिकट न मिलने का आभास
खटीमाः धामी को नहीं दिखी चुनावी दंगल में कोई ‘खामी’
महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्षा का टिकट कटा
कांग्रेस से आई महिला मोर्चा अध्यक्षा को टिकट
रुद्रपुर में ठुकराल के टिकट पर संकट के बादल
काशीपुर में बरकरार रहा भाजपा-अकाली गठबंधन
देहरादून। भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद कई सवालों के जवाब सामने आ गए हैं। अब यह साफ हो गया है कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को टिकट न मिलने का आभास हो गया था। तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खटीमा से ही चुनावी दंगल में उतरने का मन बना लिया है।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को शायद इस बात का आभास हो गया था कि 2022 के चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिलने वाला है। यही वजह रही कि खुद की फेस सेविंग करते हुए उन्होंने हाईकमान को खत लिखा था कि उन्हें चुनाव नहीं लड़ना है। (देखें खबर http://त्रिवेंद्रः टिकट कटने की आशंका या हार का खौफ )
इधर, सीएम धामी ने तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए एक बार फिर खटीमा से ही चुनावी समर में कूदने का मन बना लिया है। अब देखने वाली बात यह भी होगी क्या दूसरी सूची में धामी किसी और सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी करते हैं या नहीं।
इस सूची में सबसे अहम टिकट यमकेश्वर विधायक रितु खंडूड़ी का कटना रहा। रितु एक तो भाजपा महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्षा है। साथ ही पूर्व सीएम भाजपा के दिग्गज नेता रहे बीसी खंडूड़ी पुत्री है। इतना ही नहीं उनके पति केंद्र सरकार में स्वास्थ्य सचिव और उनकी गिनती पीएम मोदी के पसंदीदा अफसरों में की जाती है। भाजपा ने एक तरफ अपनी महिला अध्यक्षा का टिकट काट दिया तो दूसरी ओर दो रोज पहले ही पार्टी में शामिल हुईं महिला कांग्रेस की अध्यक्षा सरिता आर्या को नैनीताल से टिकट दिया गया है।
भाजपा ने जिन 11 सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं, उनमें रुद्रपुर सीट भी शामिल है। यहां से विधायक राजकुमार ठुकराल का टिकट काटे जाने की चर्चाएं पहले से चल रही हैं। अब माना जा रहा है कि ठुकराल का टिकट कटना लगभग तय है। इस सीट से भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा और भाजपा किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौहान का नाम तेजी से चल रहा है।
इसी तरह से काशीपुर में विधायक हरभजन सिंह चीमा के पुत्र को टिकट दिया गया है। यहां बता दें कि 2002 में चीमा को भाजपा-अकाली गठबंधन के तहत अकाली कोटे से टिकट मिला था। तब से अब तक चीमा इसी कोटे से टिकट पाते रहे। केंद्र में किसानों के मुद्दे पर भले ही अकाली-भाजपा गठबंधन टूट गया तो लेकिन चीमा के पुत्र को भाजपा का टिकट मिलने से ऐसा लग रहा है कि उत्तराखंड में यह गठबंधन अभी भी जारी है।