राजनीति

सहसपुर विसः प्रायोजित विरोध की सियासत!

मूल में कांग्रेसी दिग्गज के एनडी से पुराने मतभेद

इसी वजह से 2017 में सीट खो चुकी कांग्रेस

देहरादूऩ। देहरादून जिले की सहसपुर विस सीट इस बार फिर सुर्खियों में है। टिकट के प्रवल दावेदार आर्य़ेंद्र शर्मा के विरोध के नाम पर सियासत हो रही है। सवाल ये हैं कि क्या ये विरोध किसी दिग्गज का प्रायोजित तो नहीं है। बताया जा रहा है कि ये दिग्गज एनडी तिवारी के समय से ही आर्य़ेंद्र के विरोधी है।

कांग्रेस इस समय 2022 में सत्ता में आने का ख्वाब देख रही है। यही वजह है कि हर किसी की महत्वाकांक्षा जाग गई है। कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत अपने अंदाज में बैंटिंग कर रहे हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा विधायक वो जीते जो उनकी वजह से टिकट पाते हैं। इसी बीच सहसपुर सीट सबसे ज्यादा हॉट हो रही है। वजह यह है कि इस सीट के दावेदार कांग्रेस के प्रदेश कोषाध्यक्ष आर्य़ेंद्र शर्मा के खिलाफ प्रदेश कार्यालय में ही प्रर्दशन हुआ। सवाल ये हैं कि इसके पीछे कौन है। इस तरह के प्रदर्शन य़शपाल आर्य और उनके बेटे के खिलाफ क्यों नहीं हुए। इसी कांग्रेस दफ्तर में दोनों का स्वागत किया गया।

दरअसल, इस पूरी खिलाफत की सियासत के मूल में स्व. एनडी तिवारी ही है। उनकी एक खांटी नेता से सियासी अदावत किसी से छुपी नहीं है। एनडी के सीएम रहते उस नेता ने कुर्सी हिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उस वक्त आर्येंद्र सत्ता के शीर्ष पर थे। आर्येंद्र ने पहली बार 2012 में कांग्रेस के टिकट पर सहसपुर से चुनाव लड़ा। पर एक कांग्रेसी ने ही निर्दलीय खडे होकर उन्हें चंद वोटों से हरवा दिया। बाद इस निर्दलीय को कांग्रेस ने तमाम पदों से नवाजा। 2017 का चुनाव आया तो एकदम अप्रत्याशित तौर पर किशोर उपाध्याय को उसी नेता ने इसी सहसपुर सीट से लड़ने को मजबूर कर दिया।

आर्यैंद्र ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा और 22 हजार से ज्यादा मत हासिल किए। किशोर का तो पहले से ही हारना तय था। नतीजा यह रहा कि भाजपा फिर सीट ले गई। 2022 में आर्य़ेंद्र फिर से कांग्रेस के टिकट के दावेदार हैं। ऐसे में एनडी तिवारी के समय से उनके सियासी दुश्मन फिर से सक्रिया हो रहे हैं। उनकी कोशिश है कि आर्य़ैंद्र को टिकट न मिल पाए। एक बात और भी तय है कि अगर कांग्रेस हाईकमान अपने कोषाध्यक्ष पर ही दांव खेलता है तो एनडी के पुराने दुश्मन आर्यैंद्र को पछाड़ने के लिए किसी न किसी विरोधी को चुनावी समर में उतारेंगे। ऐसे में एक बार फिर भाजपा की जीत तय है।

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