राजनीति

‘खिलाड़ी’ पिता की विरासत थामेंगे ‘अनाड़ी’!

काशीपुर विसः भाजपा-कांग्रेस ने नेता पुत्रों को दिया टिकट

दोनों दलों के दावेदारों की पेशानी पर बल

भाजपा में बगावत के स्वर हो गए मुखर

देहरादून। ऊधमसिंह नगर जिले की काशीपुर विस सीट पर इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों ने पिता की सियासी विरासत पुत्रों को सौंपने का दांव खेला है। अहम बात यह है कि दोनों के पिता जहां सियासी खिलाड़ी हैं तो दोनों के पुत्र सियासत में एकदम अनाड़ी। भाजपा में प्रत्याशी का खुलकर विरोध हो रहा है तो कांग्रेसी खेमे में सन्नाटा पसरा हुआ है।

भाजपा ने इस सीट से बीस साल के विधायक हरभजन सिंह चीमा के पुत्र त्रिलोक चीमा को प्रत्याशी बनाया है। त्रिलोक का इस पहले सियासत से कोई सीधा वास्ता नहीं था। पिता के चार विस चुनावों में भी उनकी कोई खास सक्रियता सामने नहीं आई। इस लिहाज से उन्हें सियासत का अनाड़ी खिलाड़ी कहा जा सकता है।

इसी तरह से कांग्रेस ने पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के पुत्र नरेश चंद को प्रत्याशी घोषित किया है। बाबा जहां दो बार सांसद रह चुके हैं तो तीन बार विधायक भी रहे हैं। बाबा 2014 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद से ही ज्यादा सक्रिय नहीं हैं। दूसरी ओर उनके पुत्र नरेश का तो सियासत से कोई सीधा वास्ता भी नहीं रहा। पिता के चुनावों में भी वे परदे पर कहीं दिखाई नहीं दिए। इस लिहाज से नरेश को भी सियासत के इस खेल में अनाड़ी खिलाड़ी ही कहा जा सकता है।

भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही परिवारवाद को आगे बढ़ाते हुए ही दांव खेला है। ऐसे में दोनों दलों के उन दिग्गजों की हालत खराब है जो लंबे समय से टिकट की आस में लगातार सक्रिय़ता बनाए हुए थे। भाजपा में तो त्रिलोक के खिलाफ खुलकर बगावत हो गई है। लेकिन कांग्रेसी खेमे में अभी सन्नाटा पसरा हुआ है। यह अलग बात है कि नरेश को टिकट मिलने की भनक लगते ही कांग्रेस के सक्रिय दावेदारों ने सोशल मीडिया में इशारों में विरोध शुरू कर दिया था।

अब देखने वाली बात यह होगी कि सियासत के खिलाड़ी पिताओं के इन पुत्रों के प्रति काशीपुर की जनता का क्या रुख रहता है। देखने वाली बात यह भी होगी क्या अवाम सियासत में बढ़ रहे इस परिवारवाद को आगे बढ़ाती है या फिर कुछ नया करने का माद्दा रखती है।

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