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अध्यक्ष पद पर मैदान की दावेदारी पर फैसला आज

एक दावेदार को भाजपा सरकार ने दिया दर्जा मंत्री का ओहदा

देहरादून। आज ये साफ हो जाएगा कि प्रदेश अध्यक्ष पद पर मैदानी क्षेत्र के नेताओं के दावे को हाईकमान ने कितनी तरजीह है। वैसे एक दावेदार को राज्यमंत्री का दर्जा देकर भाजपा ने इस बात का संकेत दिया है कि दावे पर विचार तो किया गया लेकिन इसे शायद ही अमलीजामा पहनाया जाए।

भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल कुमाऊं और गढ़वाल के साथ ही ब्राह्मण और क्षत्रिय का संतुलन साधते रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री या फिर नेता प्रतिपक्ष के पद के लिए दोनों में से किसी भी दल ने मैदानी नेताओं को तरजीह नहीं दी। इस बार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए मैदानी नेताओं ने पुरजोर तरीके से पैरवी की। दबाव में आए भाजपा हाईकमान ने इस चुनाव को एक महीने के लिए टाला भी। आज नए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा।

सूत्रों ने बताया कि इस बार प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए मैदानी क्षेत्र के नेताओं में पूर्व सांसद बलराज पासी का दावा सबसे ज्यादा था। इसके अलावा काबीना मंत्री मदन कौशिक और अरविंद पांडेय के साथ ही विश्वास डाबर और विधायक राजेश शुक्ला की दावेदारी अंदरखाने हैं। इनका तर्क है कि राज्य में सबसे ज्यादा वोटर मैदान में है। इसके बाद भी नैनीताल और हरिद्वार लोस सभा सीट पर्वतीय मूल के लोगों को दे दी गईं। कैबिनेट और दायित्वधारियों में भी मैदान का ख्याल नहीं रखा जा रहा है।

आज नए अध्यक्ष का नाम सामने आते ही यह साफ हो जाएगा कि भाजपा ने परंपरागत अंदाज में ही क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधते हुए कुमाऊं के किसी ब्राह्मण नेता को यह पद दिया है या फिर पहली बार लीक से हटकर मैदानी नेताओं को तरहजीह दी है। वैसे एक दावेदार विश्वास डाबर को राज्यमंत्री का दर्जा देकर भाजपा ने यह तो दिखाया है कि दावेदारी पर विचार तो किया है हाईकमान ने।

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