मंदिर समिति के सीईओ की प्रतिनियुक्ति पर उठ रहे सवालात
मंत्री के पत्र पर सचिव ने दिया जांच का आदेश
सचिव के पत्र पर आयुक्त ने नहीं दी कोई आख्या
मंत्री गए तो क्या आदेश भी डाल दिया टोकरी में
10 साल से अधिक समय से बतौर सीईओ तैनात
प्रांतीय वन सेवा के अफसर हैं सीईओ बीडी सिंह
प्रशासनिक सेवा का अफसर ही हो सकता तैनात
तीन साल से अधिक नहीं होती प्रतिनियुक्ति अवधि
देहरादून। बदरी केदार मंदिर समिति के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकार) बीडी सिंह लंबे समय से इसी पद पर हैं। इनकी जांच के लिए तत्कालीन वन मंत्री ने एक पत्र लिखा और सचिव ने आयुक्त से जांच कर आख्या तलब की। सवाल यह है कि क्या मंत्री की रवानगी के बाद ये मामला शांत हो गया या फिर सिंह ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए इस रद्दी की टोकरी में डलवा दिया और आज भी अपनी कुर्सी पर कायम हैं। अहम बात यह भी है कि इनकी लंबी प्रतिनियुक्ति पर भी सवाल उठ रहे हैं।
मंदिर समिति एक्ट में प्रावधान है कि सीईओ के पद पर किसी प्रशासनिक अफसर की तैनाती प्रतिनियुक्ति पर की जाएगी। इसकी अवधि महज तीन साल की होगी। बतौर सीईओ गैर प्रशासनिक व्यक्ति को भी सरकार यह पद दे सकती है। लेकिन वह अधिकतम एक वर्ष की इस पद पर रह सकता है।
मौजूदा सीईओ बीडी सिंह इस पद पर दस साल से भी ज्य़ादा वक्त से काबिज है। इसी पद पर रहते हुए उनकी प्रांतीय वन सेवा में पदोन्नति भी हुई है। सरकार किसी भी दल की रही हो, सिंह का जलबा कायम ही रहा। देवस्थानम् बोर्ड बना तो भी इन्हें डिप्टी सीईओ बना दिया गया। सवाल यह उठ रहा है कि उनकी प्रतिनियुक्ति की अवधि इतनी लंबी किसके आदेश पर की गई है।
पिछली सरकार में वन मंत्री हरक सिंह रावत ने तमाम शिकायतों के साथ एक पत्र धर्मस्व सचिव को लिखा था। सचिव ने इसकी जांच गढ़वाल आयुक्त को दी और जल्द ही शासन को रिपोर्ट देने को कहा। लेकिन पांच माह में भी जांच का कोई पता नहीं चला है और बीडी सिंह पहले की तरह ही अपने पद पर काम कर रहे हैं।
सवाल यह उठता है कि सिंह की किसकी शह पर इसी पद पर नियमों के विरुद्ध प्रतिनियुक्ति को बढ़ाया जा रहा है। सवाल यह भी है कि क्या सिंह ने अपने रसूख का इस्तेमाल करके इस जांच आदेश को रद्दी की टोकरी में डलवा दिया है। इस मामले में सिंह का पक्ष जानने की कोशिश गई। पर बात नहीं हो सकी। उनका पक्ष अगर मिलता है तो उसे भी प्रकाशित किया जाएगा।