एक्सक्लुसिव

आईपीएस के कदम से सरकार ‘खफा’ !

सीएम त्रिवेंद्र ने संतुलित अंदाज में जताई अपनी असहमति

दो विधायकों ने अफसर की कार्यशैली पर उठाए कई सवालात

एसपी बनने के बाद साढ़े पांच साल तीन जिलों में रहे कप्तान

देहरादून। एक आईपीएस अफसर का सरकार के खिलाफ अदालत में जाना पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है। अफसर के इस कदम से सरकार के मुखिया ने संतुलित अंदाज में अपनी असहमति जताई है। ऊधमसिंह नगर जिले के दो विधायकों ने भी इस अफसर की कार्य़शैली पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अहम बात यह भी है कि एसपी बनने के बाद अपने आठ साल के करियर में यह अफसर साढ़े पांच साल से भी अधिक समय तक तीन जिलों में बतौर कप्तान तैनात रहे हैं।

सरकार ने पिछले दिनों ऊधमसिंह नगर के कप्तान बरिंदरजीत सिंह को आईआरबी, रामनगर स्थानांतरित किया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ सिंह नैनीताल हाईकोर्ट गए हैं। अपनी याचिका में इस अफसर ने अपने ही महकमे के दो आला अफसरों पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं। अफसर के इस फैसले की पुलिस महकमे में खासी चर्चा है तो सरकार को भी अफसर का यह कदम नागवार गुजरा है।

सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस प्रकरण पर संतुलित अंदाज में अपनी टिप्पणी की है। सीएम ने कहा कि सरकार ने प्रशासन, पुलिस और अन्य महकमों के आला अफसरों का काम करने का मौका दिया। अच्छा फरफार्म करने वालों की अन्य जगहों पर भी जरूरत होती है। तबादला एक स्वभाविक प्रक्रिया है। इस पर यह कहना कि प्रताड़ित किया गया है ठीक नहीं है। पुलिस के अफसर बहुत अच्चे और सुलझे हैं। कोई समस्या थी तो उनसे बात करनी चाहिए थी।

इधर, ऊधमसिंह नगर जिले की रुद्रपुर सीट के विधायक राजकुमार ठुकराल और किच्छा सीट से विधायक राजेश शुक्ला ने आईपीएस अफसर की कार्यशैली पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इन जनप्रतिनिधियों का कहना है कि आखिर क्या वजह है कि वे इसी जिले के कप्तान बने रहना चाहते हैं। अपने कार्य़काल में उन्होंने जनप्रतिनिधियों तक के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए हैं।

बरिंदरजीत सिंह

आईपीएसस अफसर का यह कदम पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है। कहा जा रहा है कि 2008 बैच के इस अफसर के दो साल ट्रेनिंग और दो साल बतौर एएसपी गुजरे हैं। 2012 में ये एसपी रैंक में आए हैं। अगर 2020 तक यानि आठ सालों की बात करें तो सिंह लगभग साढ़े पांच से भी अधिक समय तक जिलों में बतौर कप्तान रहे हैं। सरकार ने उन्हें पहले रूद्रप्रयाग और फिर टिहरी में कप्तान बनाया। इसके बाद उन्हें ऊधसिंह नगर जैसे अहम जिले का कप्तान बनाया गया। इसके बाद भी यह कैसे कहा जा सकता है कि उन्हें प्रताड़ित किय गया है।

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