एक्सक्लुसिव

रोडवेज की बेशकीमती जमीनों पर लंबे समय से ‘माफिया’ की निगाहें

‘मर्जर’ का प्रस्ताव निरस्त कर पाएंगे मंत्रीजी ?

आखिर किस परिवहन मंत्री ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

और छह माह तक प्रस्ताव क्यों दबाए रही ब्यूरोक्रेसी

नए मंत्री महज स्थगित करके ही लूट रहे हैं वाहवाही

देहरादून। रोडवेज के चार अहम डिपो को खत्म करने के पीछे आखिर खेल क्या है। बताया जा रहा है कि इन डिपो की बेशकीमती जमीन पर माफिया की निगाहें लंबे समय हैं। सवाल यह है कि आखिरकार किस परिवहन मंत्री ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी और अफसर उसे छह माह तक क्यों दाबे रहे। सवाल यह भी है कि मर्जर के प्रस्ताव को महज स्थगित करके वाहवाही लूट रहे नए मंत्री इस प्रस्ताव को निरस्त करने की हिम्मत दिखा पाएंगे।

लगभग 10 रोज पहले परिवहन निगम के एमडी ने एक आदेश करके काशीपुर, रुड़की, श्रीनगर समेत चार डिपो को खत्म करके दूसरे डिपो में मर्ज कर दिया था। इसका भारी विरोध हुआ तो परिवहन मंत्री चंदनराम दास ने एमडी को लिखे एक खत में इस पर आपत्ति जताई और आदेश स्थगित करने को कहा। इसके बाद से ही मंत्री जी वाहवाही लूट रहे हैं और उनका स्वागत किया जा रहा है। अहम बात यह है कि यह प्रस्ताव अभी भी सरकारी फाइलों में जिंदा है और इसे निरस्त नहीं किया जा सका है।

बताया जा रहा है कि इस मर्जर के पीछे इन बड़े शहरों में निगम की बेशकीमती जमीनें ही हैं। डिपो बंद होने के बाद इस जमीनों को निगम के लिए कोई भी उपयोग नहीं होगा और इन्हें बेच दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि इन जमीनों पर माफिया की निगाहें लंबे समय से हैं। पहले इन जमीनों को पीपीमोड में देने की चर्चा भी चली थी। लेकिन भारी जनविरोध की आशंका के चलते इस पर अमल नहीं किया जा सका था।

लेकिन पिछली सरकार के समय में अक्टूबर-2012 में इन डिपोज को खत्म करने की अफसरों की मंशा पूरी हो गई। बताया जा रहा है कि तत्कालीन परिवहन मंत्री से भी अफसरों ने फाइल पर अनुमोदन ले लिया था। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा कि अफसरों ने डिपो खत्म करने के इस प्रस्ताव को छह माह तक फाइलों में क्यों दाबे रखा। नई सरकार का गठन होने पर जैसे ही विभाग बंटे एमडी ने मर्जर के आदेश जारी कर दिए। नए नवेले मंत्री ने भी एमडी को एक खत लिखने और उसे मीडिया में जारी करने में कोई देरी नहीं की। मंत्री ने खत में यह सवाल भी उठाया है कि अगर ये फैसला अक्टूबर-21 में हो गया तो इस लागू करने के लिए नई सरकार के गठन का इंतजार क्यों किया गया। मंत्री ने अपने आदेश में इस आदेश को फिलहाल स्थगित करने को कहा था। जाहिर है कि डिपो मर्जर का प्रस्ताव अभी निरस्त नहीं हुआ है। अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या नए मंत्री जी अपने विभाग के पुराने मंत्री द्वारा अनुमोदित इस प्रस्ताव को रद कर पाएंगे।

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