एक्सक्लुसिव

सांसद और विधायक निधि में कई अरब शेष

विकास कार्यों के लिए पैसा जारी करने में जनप्रतिनिधियों की नहीं खासी रुचि

सोशल मीडिया में इन निधि को खत्म करने की मांग तेज, देखें स्क्रीन शॉट

न्यूज वेट ब्यूरो

देहरादून। केंद्र सरकार ने दो साल तक सांसद निधि स्थगित कर दी है तो राज्य सरकार ने विधायक निधि में दो साल तक एक-एक करोड़ कटौती की बात की है। अहम बात यह है कि उत्तराखंड के सांसदों और विधायकों की निधि में कई अरब रुपये पड़े हैं। ऐसे में इन दोनों निधियों को पूरी तरह से खत्म करने की मांग तेज हो रही है। कहा जा रहा है कि इन निधियों ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।

पहले बात उत्तराखंड के सासंदों की

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को आरटीआई के मिली सूचना के अनुसार वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल शुरू हुए छह माह से अधिक का समय हो गया है। लेकिन दिसबंर 2019 तक एक भी रूपया खर्च नहीं हो सका है। आलम यह है कि टिहरी सांसद श्रीमति राज लक्ष्मी को छोड़कर किसी भी सांसद का एक भी रूपया पिछली सांसद निधि शेष होने के कारण केंद्र से जारी नहीं हुआ है। पिछली लोकसभा सांसदों की भी 26 करोड़ की सांसद निधि खर्च होने को शेष है।

सूचना के अनुसार दिसम्बर 2019 तक पिछली लोस के सांसदों को ब्याज सहित उपलब्ध 99.66 करोड़ की सांसद निधि में से 78.95 करोड़ ही खर्च हुए। अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा की ब्याज सहित सांसद निधि 2633.84 लाख है। इसमें से दिसंबर 2019 तक केवल 50 फीसदी यानि 1310.99 लाख ही खर्च हुए।

हरिद्वार सांसद डा. रमेश पोखरियाल निशंक की कुल 2605.09 लाख सांसद निधि में से केवल 1997.19 लाख की सांसद निधि खर्च हुए। पौड़ी के पूर्व सांसद बीसी.खंडूरी की 2531.32 लाख की निधि में से केवल 40 प्र्रतिशत 1001.14 लाख खर्च हुए।

टिहरी सांसद श्रीमति राजलक्ष्मी की 2634.83 लाख की पिछली निधि में से 1790.2 लाख ही खर्च हुए। नैनीताल उधमसिंह नगर सांसद रहे भगत सिंह कोश्यारी की 2560.9 लाख की सांसद निधि में से 1795.87 लाख की खर्च हुए।

  40 फीसदी विधायक निधि अभी खातों में ही

नदीम को मिली सूचना के अनुसार राज्य के 71 विधायकों को 1125 लाख प्रति विधायक की दर से 79875 लाख की विधायक निधि दिसंबर 2019 तक उपलब्ध कराई गई। इसमें से जनवरी 2020 के प्रारंभ में 31758 लाख की निधि खर्च होने को शेष है। 17 विधायकों की आधी विधायक निधि भी खर्च नहीं हुई है। विधायक धारचूला विधायक हरीश सिंह धामी की केवल 30 प्रतिशत विधायक निधि खर्च हुई है। 33 प्रतिशत राशि केदारनाथ विधायक मनोज रावत तथा 39 फीसदी रानीखेत विधायक करन मेहरा ने खर्च की।

हरिद्वार विधायक मदन कौशिक की 40, श्रीनगर विधायक धनसिंह, जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल की 41-41 प्रतिशत, गंगोत्री विधायक गोपाल सिंह रावत की 43, गंगोली हाट विधायक मीना गंगोला की 44, बद्रीनाथ विधायक महेन्द्र भट्ट तथा डीडीहाट विधायक विशन सिंह चुफाल की 45-45 प्रतिशत, थराली विधायक मगन लाल शाह, पिथौरागढ़ विधायक प्रकाश पंत तथा कर्णप्रयाग विधायक सुरेन्द्र सिंह नेगी की 46-46 प्रतिशत, चकराता विधायक प्रीतम सिंह, प्रताप नगर विधायक विजय सिंह पवार की 47-47 प्रतिशत, खटीमा विधायक पुष्कर सिंह धामी की 48 प्रतिशत, द्वाराहाट विधायक महेश नेगी की 49 तथा विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान की 50 प्रतिशत निधि दिसम्बर 2019 तक खर्च हो सकी है। बाकी पैसा इनके खातों में है। अभी 2020-21 की निधि जारी होनी है।

ऐसे में सांसद और विधायक निधि को पूरी तरह से खत्म करने की मांग तेज रही है। सोशल मीडिया में इस बारे में पोस्ट डाली जा रही हैं। इनमें यह भी लिखा जा रहा है कि इन निधियों की वजह से भ्रष्टाचार बढ़ रहा है।

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