द्रोपदी नहीं सुभद्रा के पुत्र थे अभिमन्यु
आपका वध करने वाले आखिरकार ‘कौरव’ कौन हैं त्रिवेंद्र जी
कौरव और पांडवों को वंश तो एक ही था
तो क्या भाजपा के लोग ही बन गए कौरव
देहरादून। उत्तराखंड भाजपा में बयानबाजी का दौर जारी है। पहले सीएम तीऱथ कई रोज तक ट्रोल होते रहे हैं तो कई महीनों के बाद बारी पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की है। वे कह रहे हैं कि अभिमन्यु के वध के बाद उसकी मां द्रोपदी रोई नहीं और कहा कि कौरवों का प्रतिकार (विरोध) कर दो। पहली बात तो यह है कि अभिमन्यु की मां सुभद्रा थी और दूसरा सवाल ये हैं कि त्रिवेंद्र किसे कौरव मान रहे हैं। अगर वो भाजपा के लोग हैं तो यह भी साफ है कि पांडव और कौरव एक ही वंश के थे। तो क्या तिवेंद्र जी अपने ही वंशजों का प्रतिकार चाहते हैं।
उत्तराखंड में भाजपा नेताओं के बोल अजब गजब है। पुर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ ही सांसद अजय भट्ट और अन्य नेता अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं। नए सीएम तीऱथ के बयानों ने तो दुनियाभर में धूम मचा दी। अब कुर्सी से हटाए गए त्रिवेंद्र सिंह रावत फिर से चर्चा में हैं। अपनी विस में एक कार्यक्रम में खुद को कुर्सी से हटाए जाने की व्यथा उन्होंने जिस अंदाज में बयां की। वो तो और भी गजब है।
त्रिवेंद्र ने कहा कि अभिमन्यु (खुद का) का वध जब हुआ तो उसकी मां द्रोपदी रोई नहीं और बोली अब कौरवों का प्रतिकार (विरोध) करो। ये बयान चर्चा में है। पहली बात यह है कि अभिमन्यु की मां द्रोपदी नहीं बल्कि अर्जुन की दूसरी पत्नी सुभद्रा थी। बड़ा सवाल ये है कि तिवेंद्र जी कौरव किसे मान रहे हैं। उनकी कुर्सी अगर गई तो अपनी ही पार्टी के लोगों के वजह से। तो क्या वो उन सबका वध करना चाहते हैं। वैसे भी कौरव और पांडव एक ही वंश के थे। तो तो क्या त्रिवेंद्र अपने ही वंश (भाजपा) का वध करना चाहते हैं।
बहरहाल, त्रिवेंद्र की मंशा क्या है ये वही जानते होंगे। लेकिन फिलहाल एक बात तो साफ हो रही है कि उत्तराखंड भाजपा में सियासी घमासान एक बार फिर तेज हो रहा है। अब देखना ये होगा कि त्रिवेंद्र ने चार के अपने कार्यकाल में क्या भाजपा संगठन ने इतर भी अपनी कोई पैठ बनाई है और कितने भाजपाई उनके इस बयान के समर्थन में आते हैं।