राजनीति

भाजपाई सीएम को रास नहीं आती नई इकाइयां

चार जिलों की घोषणा पर निशंक हटे तो गैरसैंण मंडल पर त्रिवेंद्र

अब हरदा ने किया नौ नए जिलों का वायदा

देहरादून। उत्तराखंड की सियासत में नए जिलों का मुद्दा छाया रहता है। सियासी इतिहास पर नजर डालें तो भाजपाई मुख्यमंत्रियों को नई प्रशासनिक इकाइयां रास नहीं आती हैं। चार नए जिलों की घोषणा करने वाले तत्कालीन सीएम निशंक को चंद रोज बाद ही कुर्सी छोड़नी पड़ी। अब गैरसैंण मंडल की घोषणा करके त्रिवेंद्र को भी इस्तीफा देना पड़ा। इसके विपरीत कांग्रेसी दिग्गज ने वायदा किया है कि सत्ता हाथ में आते ही उत्तराखंड में नौ नए जिले बनाए जाएंगे।

अलग राज्य बनने के बाद से ही उत्तराखंड में नए जिलों की मांग तेज होती रही है। सरकारें इस दिशा में आगे बढ़ने में हिचकती रही हैं। सबसे पहले भाजपा सरकार के मुखिया डॉ. रमेश पोखरिलाल निशंक ने अपने कार्यकाल में चार नए जिलों की घोषणा की। लेकिन इस एलान के चंद रोज बाद ही सियासी हालात इस तरह से बिगड़े कि उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। नतीजा यह रहा कि नए जिलों पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सका।

भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने भी नए जिलों की मांग पर कुछ नहीं किया। अलबत्ता गैरसैंण में चल रहे बजट सत्र के दौरान त्रिवेंद्र ने गैरसैंण को नई कमिश्नरी बनाने का एलान कर दिया। अजब इत्तिफाक ऐसा बना कि इस घोषणा के चंद रोज बाद ही त्रिवेंद्र को भी सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस नई कमिश्नरी को लेकर जिस अंदाज में विरोध हो रहा है, वह इस बात का संकेत हैं कि यह भी शायद ही अस्तित्व में आ सके। इधर, कांग्रेस को इस मिथक की कोई परवाह ही नहीं है। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने काशीपुर में एक लोक लुभावनी वायदा और कर डाला। हरदा का कहना है कि 2022 में सूबे की सत्ता कांग्रेस के पास आ रही है। सरकार बनते ही सबसे पहले उत्तराखंड में नौ नए जिलों का निर्माण किया जाएगा। अब देखने वाली बात यह होगी हरदा की नई प्रशासनिक इकाइयों के गठन के वायदे का क्या असर कांग्रेस के 2022 के प्रदर्शन पर पड़ता है।

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