समाज कल्याण विभाग में बेखौफ काम करते रहे अपर सचिव यादव

छात्रवृत्ति घोटालाः जांच के दौरान ही दिए साढ़े पांच करोड़
किसके सियासी संरक्षण में थे आईएएस रामविलास
नियम दरकिनार कर निजी संस्थान को दी राशि
क्या राम विलास तक आएगी एसआईटी की जांच
देहरादून। यूपी के घोटालों की विजिलेंस जांच में फंसे आईएएस राम विलास यादव ने उत्तराखंड में भी बेखौफ अंदाज में काम किया है। कई सालों से समाज कल्याण विभाग में ही जमे इस अफसर ने तबादलों और पोस्टिंग में तो खेल किया ही, मनमाने तरीक से निजी संस्थान सरकारी पैसा भी दिया। एक तरह एसआईटी छात्रवृत्ति घोटाले की परतें उधेड़ रही थी तो दूसरी ओर इन साहब ने एक निजी संस्थान को अवैध रूप से साढ़े पांच करोड़ रुपये दे दिए। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि यूपी की तरह उत्तराखंड के किस सियासतदां का इन्हें संरक्षण है और क्या एसआईटी अपनी जांच में इस साढ़े पांच करोड़ के भुगतान को भी शामिल करेगी।
आईएएस अफसर यादव का सबसे पसंदीदा विभाग समाज कल्याण ही है। बताया जा रहा है कि पिछले आठ सालों से ये साहब इसी विभाग के अपर सचिव बने हुए हैं। सरकारें बदलीं और मुख्यमंत्री भी बदले। गर नहीं बदला तो इस साहब का विभाग। मामला यहीं तक नहीं है। इस विभाग में इनके कारनामें तमाम बार सुर्खियों में आते रहे। तबादले और पोस्टिंग के साथ ही निलंबित अफसरों की बहाली भी ये अपने अंदाज में करते रहे।
इसी बीच सूबे में अरबों के छात्रवृत्ति घोटाले की एसआईटी ने जांच शुरू की। जिला स्तर के कई अफसर जेल गए और कई करोड़ की निजी संस्थानों से रिकवरी हुई। एक तरफ ये हो रहा था तो दूसरी अपर सचिव यादव ने रुड़की के एक निजी संस्थान की रोकी गई साढ़े पांच करोड़ रुपये छात्रवृत्ति अपने आदेश से ही जारी कर दी। अफसर के हौंसले इतने बुलंद थे कि आदेश में सीएम दफ्तर के मौखिक आदेश का भी जिक्र कर दिया।
कुछ समय बाद यह मामला खुला तो शासन ने इस पैसे की रिकवरी को कहा। लेकिन शायद इसी अफसर की शह पर निजी संस्थान दो साल से यह पैसा वापस नहीं कर रहा है। अहम बात यह भी है कि ये साहब आज भी समाज कल्याण विभाग में ही जमे हुए हैं। इन पर न तो विजिलेंस जांच का कोई असर है और न ही सरकार को साढ़े पांच करोड़ की चूना लगवाने का।
ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा कि क्या यूपी की तरह ही उत्तराखंड में इनका कोई सियासी संरक्षक (आका) है। जाहिर है कि अगर ऐसा नहीं होता तो इतने कारनामों के बाद भी ये साहब एक ही विभाग में कैसे जमे रहते। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही एसआईटी इस साढ़े पांच करोड़ की राशि को जांच के दायरे में लाकर इस आईएएस अफसर से भी पूछताछ करेगी।
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